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NDRF के बाद ग्रामीणों ने उठाया जिम्मा, 13 दिनों की मशक्कत के बाद बाहर निकाले गए मजदूरों के श*व

हजारीबाग जिले के केरेडारी प्रखंड के कंडाबेर गांव में एक अवैध कोयला खदान हादसे में फंसे तीन मजदूरों के शव आखिरकार 13 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद सोमवार देर रात बाहर निकाले गए। हैरानी की बात यह है कि यह कार्य प्रशासन की नहीं, बल्कि गांव वालों की हिम्मत और एकजुटता से संभव हो पाया।

हादसे के बाद शुरुआती तीन-चार दिनों तक एनडीआरएफ की टीम ने खोज अभियान चलाया था, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। इसके बाद ग्रामीणों ने खुद कमान संभाली और लगातार 13 दिनों तक खदान में जाकर खोजबीन करते रहे।

130 फीट नीचे दबे थे मजदूर
सूत्रों के मुताबिक, मृतक मजदूर लगभग 130 फीट गहरी खदान में फंसे हुए थे। काफी प्रयासों और कठिनाइयों के बाद ग्रामीणों ने सोमवार रात शवों को बाहर निकाला। मृतकों की पहचान प्रमोद साव, उमेश कुमार सिंह और नौशाद आलम के रूप में हुई है। घटना के बाद पूरे गांव में मातम का माहौल व्याप्त है। पुलिस ने तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल भेज दिया है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने शुरुआत में थोड़ी कोशिश की, लेकिन बाद में राहत कार्य अधूरा छोड़ दिया। ऐसे में ग्रामीणों ने खुद मोर्चा संभालते हुए अपने संसाधनों से शवों को निकालकर साहस और मानवता की मिसाल कायम की।

बारिश ने भी डाला अड़ंगा
पीड़ित के परिवार वालों का कहना है कि एनटीपीसी और एक निजी कंपनी के सहयोग से पानी निकालने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन बारिश के कारण फिर से खदान में पानी भर गया, जिससे राहत कार्य और कठिन हो गया। इसके बावजूद ग्रामीणों ने हार नहीं मानी और लगातार प्रयास करते हुए आखिरकार शवों को बाहर लाने में सफलता पाई। मृतकों के परिवारवालों ने सरकार और प्रशासन से नौकरी और उचित मुआवजे की मांग की है, ताकि वे भविष्य की परेशानियों से कुछ हद तक उबर सकें।