ईर्ष्याभरी राजनीति छोड़ें बाबूलाल-रघुवर; अटल-आडवाणी भी थे नोबेल विजेता भारत रत्न मदर टेरेसा के कार्यों के प्रशंसक : कैलाश यादव
राजद के महासचिव एवं मीडिया प्रभारी कैलाश यादव ने आज राज्य सरकार द्वारा मदर टेरेसा क्लीनिक स्थापित किए जाने के निर्णय का स्वागत करते हुए इसे मानवता और सेवा के क्षेत्र में एक प्रशंसनीय कदम बताया। उन्होंने इस फैसले का विरोध कर रहे भाजपा नेताओं पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और रघुवर दास जैसे नेता इस मुद्दे पर "ओछी राजनीति" कर रहे हैं।
कैलाश यादव ने भाजपा नेताओं को इतिहास की याद दिलाते हुए कहा कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी स्वयं मदर टेरेसा के कार्यों से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्होंने सार्वजनिक रूप से उनके कार्यों की प्रशंसा की थी। ऐसे में वर्तमान भाजपा नेताओं को भी इसी परंपरा का पालन करते हुए इस निर्णय का स्वागत करना चाहिए, न कि उसका विरोध।
नाम बदलने का मुद्दा भाजपा के गले नहीं उतरता
राजद नेता ने कहा कि "नाम बदलने" का विरोध करने वाली भाजपा को यह भी स्मरण रखना चाहिए कि आजाद भारत में सबसे अधिक नाम परिवर्तन की राजनीति स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विभिन्न भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने की है। ऐसे में अब इस विषय पर विरोध करना केवल दिखावटी और अवसरवादी राजनीति का उदाहरण है।
कैलाश यादव ने मदर टेरेसा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे निस्वार्थ सेवा, प्रेम और करुणा की जीवंत मिसाल थीं। उन्होंने ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना कर दुनिया भर में करीब 500 केंद्रों के माध्यम से अनगिनत गरीब, अनाथ, रोगी और बेसहारा लोगों की सेवा की। कुष्ठ रोगियों, HIV/AIDS पीड़ितों और जरूरतमंदों के लिए उन्होंने धर्मशालाएं, वृद्धाश्रम और पुनर्वास केंद्र बनाए।
सम्मान और प्रेरणा का प्रतीक
राजद नेता ने बताया कि मदर टेरेसा को उनके मानवता भरे कार्यों के लिए 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार और 1980 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनकी जीवन शैली और सीख—जैसे सेवा, प्रेम, सहानुभूति, निस्वार्थता और दृढ़ निश्चय—आज भी दुनियाभर में लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
कैलाश यादव ने अंत में कहा कि मदर टेरेसा क्लीनिक की स्थापना एक सकारात्मक पहल है और भाजपा को अपने विरोध के स्वर दबाकर इस निर्णय का समर्थन करना चाहिए। राजद का स्पष्ट मत है कि यह कदम न केवल झारखंड की अस्मिता के अनुरूप है बल्कि सेवा और मानवता के मूल्यों का भी सम्मान करता है। ऐसे निर्णयों का राजनीतिक विरोध करने के बजाय जनहित में समर्थन देना चाहिए।







