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चंपाई सोरेन का आदिवासियों से आह्वान, कहा-घुसपैठियों के खिलाफ एकजुट हो कर संघर्ष करें

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने आदिवासी समाज से बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ संगठित होकर संघर्ष करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि जिस माटी, रोटी, बेटी और जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो और बाबा तिलका मांझी ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी, आज उसी धरती पर घुसपैठियों ने कब्जा कर रखा है। हमारी बहू-बेटियों की सुरक्षा को खतरा है और कई गांवों में आदिवासियों का अस्तित्व मिटता जा रहा है।

चंपाई सोरेन ने चिंता जताई कि आदिवासी धार्मिक स्थलों जैसे जाहेर थान, मांझी थान पर भी अवैध कब्जा हो रहा है। उन्होंने कहा, "हम सिर्फ एक बार जीते हैं और एक बार मरते हैं, तो फिर डरने की क्या बात है? हमारी रगों में भी उन्हीं वीर शहीदों का खून है जिन्होंने अंग्रेजों को झुका दिया था। हम अब शिक्षित हैं और अपने अधिकारों को भली-भांति समझते हैं।"

चंपाई सोरेन ने बिना नाम लिए राज्य सरकार पर निशाना साधा और कहा, "हम आदिवासी इस धरती के असली मालिक हैं। जब हमारे समाज में बाहर शादी करने वाली बेटियों का श्राद्ध करने की परंपरा है, तो ये कौन लोग हैं जो इन बाहरी लोगों को हमारे गाँवों में बसा रहे हैं? इन्हें किसका संरक्षण मिल रहा है?"

उन्होंने संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि इस अधिनियम के तहत कोई गैर आदिवासी हमारी जमीन नहीं खरीद सकता, फिर ये घुसपैठिये कैसे कब्जा कर रहे हैं? उन्होंने घोषणा की कि चुनावों के बाद सभी मांझी परगना और ग्राम प्रधानों के साथ एक विशेष सभा बुलाई जाएगी, जिसमें अवैध रूप से कब्जाई गई जमीनें मूल मालिकों को वापस दिलाने का प्रयास होगा।