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Ranchi : मोदी सरकार के वाइट पेपर में छुपा है कांग्रेस पार्टी का ब्लैक पेपर: प्रदीप वर्मा

भारतीय अर्थव्यवस्था पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा जारी किए गए श्वेत पत्र सच्चाई का वो आईना है जिससे काँग्रेस पार्टी के एक परिवार ने देश के सामने नही आने दिया था। भाजपा के श्वेत पत्र में छिपा है कांग्रेस का काला पत्र। यह बातें भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में प्रदेश महामंत्री प्रदीप वर्मा ने कही। श्री वर्मा ने कहा कि यह श्वेत पत्र यह भी सिद्ध करता है कि केम्ब्रिज, ऑक्सफोर्ड या हावर्ड से निकले हुए अर्थशास्त्री या रिजर्व बैंक के गवर्नर ही देश की अर्थव्यवस्था को ऊँचाई पर लेकर जा सकते है, सच नही है। कहा कि सच्चाई यह है कि जब एक गरीब का बेटा जिसने गरीबी में जीया है, गरीबी में पला-बढ़ा है, जिसमे दृढ़ इच्छाशक्ति हो, जिसके शरीर का कण कण और जीवन का पल-पल देश के विकास में काम करने में बीतता हो, जिसमे देश को दुनिया मे सबसे आगे ले जाने का जुनून हो, वह जब देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुँचता है तो न केवल इस पद की गरिमा बढ़ती है बल्कि गरीब कल्याण के साथ-साथ देश के अर्थव्यवस्था में भी नए आयाम गढ़ता है।

उन्होंनें कहा कि ये श्वेत पत्र इस बात  का साक्षी  है कि 2004 और 2014 के बीच की कॉंग्रेस की यूपीए सरकार की अवधि की तुलना में 2014 से 2024 तक आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में देश की अर्थव्यवस्था में कैसे सुधार हुआ। यूपीए ने न केवल देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाया, बल्कि यूं कहिए कि देश को लूटा। श्रधेय अटल बिहारी बाजपेयी सरकार से एक स्वस्थ्य अर्थव्यवस्था विरासत में मिलने के बावजूद यूपीए ने देश की अर्थव्यवस्था को कैसे गैर-निष्पादित अर्थव्यवस्था में बदल दिया, इसकी जानकारी हमें इस श्वेत पत्र में मिलती है। जब श्रधेय अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने कार्यभार संभाला, तब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में एनपीए का अनुपात 16.0 प्रतिशत था और जब उन्होंने पद छोड़ा था तब यह 7.8 प्रतिशत था। सितंबर 2013 में यह अनुपात सरकारी बैंकों के कमर्शियल लोन निर्णय में यूपीएस सरकार द्वारा राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण 12.3% तक चढ़ गया था।

वर्ष 2014 में बैंकिंग संकट काफी बड़ा था मार्च 2004 में सरकारी क्षेत्र के बैंकों द्वारा सकल अग्रिम केवल 6.6 लाख करोड़ रूपया था जबकि मार्च 2012 में या 39 लाख करोड़ रूपया था। कांग्रेस के यूपीए सरकार के दौरान देश की जो बदहाल आर्थिक स्थिति थी उसका जिम्मेदार कहीं ना कहीं उस  वक्त की सरकार का नेतृत्व कर रहे लोग भी थे। पीएम से लेकर सुपर पीएम तक। तब जो प्रधानमंत्री थे उनको कोई प्रधानमंत्री मानने को तैयार नहीं था और उसे सरकार में सब के सब मंत्री अपने आप को प्रधानमंत्री समझते थे जो सुपर पीएम के आदेश पर काम कर रहे थे ।परिणाम यह हुआ कि घोटाले पर घोटाले होते रहे प्रधानमंत्री सब कुछ जानते हुए भी आंख मूंदे बैठे रहे।

देश ने उसे वक्त 2G घोटाला देखा ,कोयला घोटाला देखा , अगस्ता का वेस्टलैंड घोटाला देखा सत्यम घोटाला देखा ट्रक घोटाला देखा कॉमनवेल्थ घोटाला देखा कैश फॉर वोट घोटाला देखा आदर्श घोटाला देखा शारदा चिटफंड घोटाला देखा आई एन एक्स मीडिया मामला देखा एयरसेल मैक्सिस घोटाला देखा एंट्रेंस देवास घोटाला देखा लैंड फॉर जॉब घोटाला देखा 15 घोटाले कांग्रेस के यूपीए सरकार के दौरान 2004 से 2014 के कालखंड में हुए। शौचालय बनने से भी देश की जीडीपी बढ़ सकती है लोगों के लिए घर बनाने से भी देश की जीडीपी बढ़ सकती है घर में बिजली,पानी, गैस कनेक्शन, आयुष्मान कार्ड देने से भी देश की आर्थिक विकास दर में इजाफा हो सकता है। तब देश ने 2G घोटाला देखा अब हमारे पास सबसे कम दर के साथ 4G के तहत आबादी का व्यापक कवरेज है और 2023 में दुनिया में 5G का सबसे तेज रोल आउट है।

कांग्रेस के पास नीति पक्षाघात था बुनियादी ढांचा प्राथमिकता में नहीं थी ।अब निवेश विकास रोजगार और उद्यमिता और बचत के पुण्य चक्र के पहिए जिससे अधिक निवेश और उत्पादक हो शुरू हो गया है। उस शासन में भारत में दोहरे अंक में मुद्रास्फीति थी अब मुद्रास्फीति को 5% से थोड़ा अधिक पर लाया गया है। तब हमारी अर्थव्यवस्था ट्विन बैलेंस शीट समस्या का सामना कर रही थी अब हमने अर्थव्यवस्था को कंपनियों के साथ-साथ बैंकिंग क्षेत्र के लिए ट्विन बैलेंस शीट लाभ में बदल दिया है जिसमें निवेश और रन बढ़ाने के पर्याप्त क्षमता है और रोजगार पैदा करें। अमृत कल अभी शुरू हुआ है और हमारी मंजिल 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है इसलिए यह हमारा कर्तव्य काल है। 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद वित्त वर्ष 2009 और वित्त वर्ष 2014 के बीच 6 वर्षों के लिए उच्च राजकीय घाटा ने सामान्य और गरीब परिवारों पर दुखों का अंबार लगा दिया 2009 से 2014 के बीच महंगाई चरम पर रही और इसका खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ा।