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झारखंड में कंप्यूटर ऑपरेटरों की नौकरी पर संकट, सरकार कर रही नई व्यवस्था पर विचार, जानें

झारखंड सरकार के सचिवालय और विभिन्न सरकारी कार्यालयों में कार्यरत हजारों कंप्यूटर ऑपरेटरों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। इस आशंका के पीछे कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन बताया जा रहा है। यह कमेटी सदस्य राजस्व पर्षद की अध्यक्षता में 24 मार्च को बनी थी, जिसमें सचिव वित्त और सचिव राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग को शामिल किया गया है।

इस कमेटी को निर्देश दिया गया है कि वह राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में आशुलिपिकीय एवं लिपिकीय सेवाओं में सीधी भर्ती के लिए आवश्यक कंप्यूटर ज्ञान, कंप्यूटर संचालन से जुड़े कार्यों और पदनाम में संभावित संशोधन पर रिपोर्ट तैयार करे। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, यदि इन सेवाओं में कार्यरत कर्मियों के लिए कंप्यूटर ज्ञान अनिवार्य कर दिया जाता है, तो अनुबंध या आउटसोर्सिंग के माध्यम से रखे गए कंप्यूटर ऑपरेटरों की जरूरत काफी हद तक खत्म हो सकती है। इससे सरकार को इन पदों पर आउटसोर्सिंग से कर्मी रखने की बाध्यता नहीं रहेगी।

अनुबंध कर्मियों की सेवा शर्तों में बदलाव पर भी हो रहा विचार
झारखंड सरकार ने अनुबंध कर्मियों की सेवा शर्तों को लेकर भी पुनर्विचार शुरू किया है। इस संदर्भ में विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी पहले से गठित है, लेकिन दो वर्षों से यह कमेटी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर पाई है, जबकि कई बैठकों का आयोजन किया जा चुका है।

आउटसोर्स कर्मियों के लिए नियमावली तैयार कर रहा वित्त विभाग
इसके अलावा, राज्य सरकार के सचिवालय और अन्य सरकारी दफ्तरों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों की सेवा शर्तों में सुधार के लिए वित्त विभाग एक नई नियमावली तैयार कर रहा है। इसका उद्देश्य इन कर्मियों को उचित वेतन और बेहतर कार्य शर्तें प्रदान करना है, ताकि वे आउटसोर्सिंग एजेंसियों के शोषण का शिकार न हों।