कोल्हान में नक्सलियों पर निर्णायक हमला, डीजीपी खुद करेंगे मॉनिटरिंग

झारखंड के कोल्हान क्षेत्र में माओवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों की मुहिम अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती नजर आ रही है। प्रदेश के अधिकांश जिलों से नक्सलियों का सफाया करने के बाद अब कोल्हान के पहाड़ी और घने जंगलों में छिपे शीर्ष माओवादियों को निशाना बनाने के लिए एक विशेष रणनीति तैयार की जा रही है।
इस ऑपरेशन को ज़मीनी स्तर पर अंजाम देने के लिए झारखंड पुलिस के महानिदेशक अनुराग गुप्ता सोमवार सुबह 9:30 बजे अपनी टीम के साथ इलाके में पहुंच चुके हैं। वह यहां अभियान से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक कर रणनीति तय करेंगे।
कोल्हान के जंगलों में बीते कुछ समय से माओवादियों ने सुरक्षा बलों के खिलाफ बड़ी संख्या में लैंड माइंस बिछा रखे हैं, जिससे ऑपरेशन में बाधा आ रही है। 12 अप्रैल को आईईडी विस्फोट में झारखंड जगुआर के जवान सुनील धान शहीद हो गए थे। अगले ही दिन 13 अप्रैल को टेंडरग्राम स्थित जगुआर मुख्यालय में शहीद को श्रद्धांजलि देने पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्पष्ट कहा था कि नक्सलवाद अब समाप्ति की ओर है और जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।

सूत्रों की मानें तो इस विशेष ऑपरेशन के दौरान डीजीपी के साथ आईजी अभियान और अन्य वरीय पुलिस अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। इनपुट्स के मुताबिक, कोल्हान के जंगलों में माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य और एक करोड़ का इनामी मिसिर बेसरा, साथ ही केंद्रीय समिति का सदस्य अनल दा उर्फ तूफान उर्फ पतिराम मांझी उर्फ पतिराम मरांडी छिपे हो सकते हैं। ये दोनों गिरिडीह जिले के पीरटांड़ क्षेत्र के निवासी हैं।
नक्सलियों द्वारा बिछाए गए आईईडी पहले भी कई जवानों की जान ले चुके हैं। इससे पहले 22 मार्च को चाईबासा के छोटानागरा थाना क्षेत्र में एक पुराने आईईडी की चपेट में आने से सीआरपीएफ के सब इंस्पेक्टर सुनील मंडल शहीद हो गए थे। 22 दिनों में यह दूसरा बड़ा नुकसान है जिसे सुरक्षा बलों ने झेला है।
इन घटनाओं को देखते हुए सुरक्षाबलों ने अब नक्सलियों को सरेंडर के लिए मजबूर करने के मकसद से बड़ा और सुनियोजित अभियान शुरू करने की योजना बनाई है, जिससे कोल्हान क्षेत्र में भी माओवाद का प्रभाव पूरी तरह समाप्त किया जा सके।