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झारखंड में असंवैधानिक कब्जे में है डीजीपी पद, राज्य सरकार कर रही है नियमों की अनदेखी : बाबूलाल मरांडी

झारखंड के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार और डीजीपी अनुराग गुप्ता को लेकर कड़े शब्दों में निशाना साधा है। पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में मरांडी ने कहा कि राज्य में दो दिनों से डीजीपी का संवैधानिक पद खाली पड़ा है, बावजूद इसके अनुराग गुप्ता द्वारा लिए जा रहे फैसले पूरी तरह गैरकानूनी हैं।

मरांडी ने बताया कि झारखंड जैसे राज्य में डीजीपी, एसीबी और सीआईडी जैसे प्रमुख पद लंबे समय से रिक्त हैं, जिससे कानून व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था चरमरा गई है। उन्होंने कहा कि अनुराग गुप्ता की सेवा अवधि 30 अप्रैल, 2025 को समाप्त हो चुकी है, इसके बावजूद वे अब भी आदेश दे रहे हैं, जो केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेशों के विरुद्ध है।

अनुराग गुप्ता पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
भाजपा नेता ने अनुराग गुप्ता पर वर्ष 2000 में बिहार के मगध विश्वविद्यालय थाने में दर्ज गंभीर आपराधिक मामले का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 474, 109, 116, 119, 120(B), 201 सहित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 के तहत केस दर्ज है। उन्होंने दावा किया कि जब वे मुख्यमंत्री थे, तो बिहार सरकार ने अभियोजन स्वीकृति के लिए पत्र भेजा था।

हेमंत सोरेन और अनुराग गुप्ता की नजदीकी पर सवाल
मरांडी ने कहा कि गुप्ता को पहले निलंबित रखा गया, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनकी सांठगांठ बन गई। उन्होंने दावा किया कि गुप्ता को शर्तों पर डीजीपी का कार्यभार सौंपा गया कि वे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामलों में हस्तक्षेप करें और सरकार के खिलाफ बोलने वालों पर झूठे मुकदमे चलाएं। मरांडी ने यह भी आरोप लगाया कि गुप्ता ने ईडी अधिकारियों के खिलाफ झूठे केस दर्ज कराए, हालांकि हाईकोर्ट ने उन पर रोक लगा दी। ईडी के तीन गवाहों को जेल भेजा गया और बाकी पर दबाव बनाया गया।

चुनाव आयोग की चेतावनी और सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी
मरांडी ने कहा कि चुनाव आयोग ने 2024 में गुप्ता को पद के दुरुपयोग का दोषी पाया था और उन्हें हटाने की सिफारिश की थी। इसके बावजूद जब हेमंत सोरेन फिर से मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने गुप्ता को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया। सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बावजूद सरकार ने ऑल इंडिया सर्विस रूल्स (1958) को दरकिनार कर खुद की नियमावली बनाकर 3 फरवरी, 2025 को गुप्ता की नियुक्ति कर दी, जबकि उनकी रिटायरमेंट की तारीख नजदीक थी।

कोयला चोरी और सीआईडी पर अवैध नियंत्रण का आरोप
मरांडी ने धनबाद में हो रही कोयला चोरी को लेकर भी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि हर दिन 500 से 800 ट्रकों में कोयला अवैध रूप से गायब हो रहा है और सरकार मौन है। साथ ही उन्होंने कहा कि ईडी ने 10 से अधिक अभियोजन स्वीकृति की मांगें भेजीं, जिन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया गया।

मरांडी ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे अविलंब एक योग्य और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को डीजीपी नियुक्त करें। उन्होंने कहा कि अनुराग गुप्ता जैसे अधिकारी को तरजीह देना न केवल संवैधानिक परंपराओं का अपमान है, बल्कि यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने जैसा है।