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खूंटी के दो सरकारी स्कूलों की अलग-अलग तस्वीर, एक में शिक्षा की रोशनी, दूसरे में सन्नाटा

खूंटी के दो सरकारी स्कूलों की अलग-अलग तस्वीर, एक में शिक्षा की रोशनी, दूसरे में सन्नाटा

झारखंड के खूंटी जिले से दो सरकारी विद्यालयों की contrasting स्थिति सामने आई है। एक ओर जहां उदबुरु गांव का सरकारी स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव का उदाहरण बन गया है, वहीं उससे सटे उलीडीह गांव का स्कूल खाली क्लासरूम और गिने-चुने छात्रों के कारण चर्चा में है।

उदबुरु गांव: पत्थलगड़ी से परिवर्तन की ओर
कभी पत्थलगड़ी आंदोलन का गढ़ रह चुका उदबुरु गांव अब पूरी तरह बदल चुका है। यहां के ग्रामीण अब शिक्षा की अहमियत को समझने लगे हैं और मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं। पहले जहां सरकारी योजनाओं को नकार दिया जाता था, अब वहीं लोग अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेज रहे हैं।

उदबुरु स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय में अब 1 से 5 तक की कक्षाओं में कुल 39 बच्चे नामांकित हैं और सभी नियमित रूप से स्कूल आ रहे हैं। प्रभारी शिक्षक पौलूस पूर्ति के अनुसार, अभिभावकों की मानसिकता में बड़ा परिवर्तन आया है और वे बच्चों की पढ़ाई को लेकर गंभीर हो चुके हैं। गांव में अब "क से कमल" और "ख से खरगोश" की शिक्षा गूंज रही है।

पंचायत मुखिया अंजना नाग ने भी इस बदलाव की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि गांव के लोग अब सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आगे आ रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकारा कि पंचायत के कई हिस्सों में अभी बुनियादी सुविधाओं की कमी है, जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

उलीडीह गांव: शिक्षक तो हैं, छात्र गायब
वहीं दूसरी ओर, उदबुरु से लगे उलीडीह गांव में स्थित राजकीयकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय की स्थिति बिल्कुल विपरीत है। इस स्कूल में दो शिक्षक तैनात हैं, लेकिन नियमित रूप से आने वाले छात्रों की संख्या महज तीन है।

स्कूल के प्रधानाध्यापक देवेंद्र गोप और शिक्षक तेज नारायण के मुताबिक, इस क्षेत्र का अतीत विवादों से जुड़ा रहा है और वर्तमान में खेती का मौसम और लगातार हो रही बारिश भी बच्चों की उपस्थिति पर असर डाल रही है। वे बताते हैं कि बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अब भी परिवारों की प्राथमिकताएं शिक्षा से अधिक खेती और आजीविका बनी हुई हैं।

शिक्षकों ने यह भी कहा कि चुनावी कार्यों और अन्य सरकारी कार्यभार के चलते कई बार वे स्वयं भी विद्यालय नहीं पहुंच पाते।

प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिला शिक्षा अधीक्षक (DSE) अभय सील ने इस स्थिति पर कहा कि यदि स्कूल में शिक्षक हैं लेकिन छात्र नहीं आ रहे हैं, तो इसकी जांच कराई जाएगी और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, उन्होंने उदबुरु गांव में सकारात्मक बदलाव पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।