अवैध निकासी पर वित्त विभाग सख्त, प्रतिनियुक्त कर्मियों की छुट्टी और यूजर आईडी डिएक्टिवेट करने का आदेश

रांची के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के स्वर्णरेखा शीर्षकार्य प्रमंडल में लगभग 23 करोड़ रुपये की गड़बड़ी उजागर होने के बाद वित्त विभाग ने एक कड़ा निर्णय लिया है। 30 अप्रैल को कोषागार एवं उप कोषागार अधिकारियों को पत्र भेजकर विभाग ने सभी प्रतिनियुक्त कर्मियों को तुरंत उनके मूल कार्यालयों में वापस भेजने का निर्देश दिया है। यह कार्रवाई दो दिनों के भीतर पूरी कर रिपोर्ट सौंपने को भी कहा गया है।
साथ ही, 9 मई तक कोषागारों में कार्यरत सभी प्रतिनियुक्त कर्मियों की संपूर्ण जानकारी वित्त विभाग को सौंपने का आदेश दिया गया है। विभाग का कहना है कि भविष्य में यदि किसी को कार्य की आवश्यकता पड़े तो केवल वित्त विभाग की अनुमति से ही जिला पेंशन एवं लेखा कार्यालय के लेखा सहायकों को अस्थायी रूप से कोषागार में तैनात किया जा सकता है।

गौरतलब है कि कोषागारों में मूल कैडर के कर्मियों की भारी कमी के चलते अन्य कार्यालयों के कर्मचारी वहां वर्षों से कार्यरत रहे हैं। लेकिन हालिया घोटाले के बाद इसे एक बड़ी खामी माना जा रहा है। इसलिए अब वित्त विभाग ने इस व्यवस्था को सख्ती से खत्म करने का फैसला लिया है।
विभाग ने स्पष्ट निर्देश जारी किया है कि केवल नियमित कर्मियों को निदेशक, कोषागार की स्वीकृति के बाद ही यूजर आईडी प्रदान की जाएगी। अन्य विभागों से प्रतिनियुक्त कर्मचारियों की यूजर आईडी तुरंत निष्क्रिय (डिएक्टिवेट) करने का आदेश भी दिया गया है।
इसके अतिरिक्त, वित्त विभाग ने एक अन्य पत्र जारी कर सभी कोषागार और उप कोषागार पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि जांच समिति की सिफारिशों को लागू किया जाए। विशेष रूप से प्रत्येक कोषागार में भौतिक दस्तावेजों के सुरक्षित भंडारण के लिए एक "रेकॉर्ड रूम" की व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए उसे एक जिम्मेदार पदाधिकारी के अधीन रखा जाए।
यह पहली बार नहीं है जब इस प्रकार का निर्देश जारी हुआ है, लेकिन इस बार वित्त विभाग इसे गंभीरता से लागू करने के मूड में नजर आ रहा है।