मूकबधिर बच्चों के लिए संकट बना हरमू नदी का उफान, 'क्षितिज स्कूल' जलमग्न, बच्चे असहाय

हर साल की तरह इस बार भी रांची पर बारिश की मार पड़ी है, लेकिन इस बार इसका सबसे गहरा असर उन मासूम बच्चों पर पड़ा है जो न बोल सकते हैं, न सुन सकते हैं — बस आंखों से सपने देखते हैं और इशारों में भविष्य संवारते हैं। हरमू नदी के किनारे स्थित 'क्षितिज स्कूल', जो मूकबधिर बच्चों के लिए रांची का एकमात्र प्रमुख विद्यालय है, इन दिनों भारी बारिश और बाढ़ से बेहाल है। बीते तीन दिनों की मूसलाधार बारिश ने स्कूल को तालाब में बदल दिया है। हरमू नदी का जलस्तर बढ़कर अब स्कूल की चारदीवारी में प्रवेश कर चुका है। नतीजतन, बच्चों की किताबें, कंप्यूटर, अनाज और ज़रूरी सामान सबकुछ पानी में समा गया है।
स्कूल के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित प्रिंसिपल ऑफिस, कंप्यूटर लैब, किचन, बाथरूम और अनाज स्टोर पूरी तरह पानी में डूब गए हैं। तकनीकी उपकरण खराब हो चुके हैं और क्लासरूम में अब पढ़ाई नहीं, पानी बह रहा है। बच्चों को ऊपरी मंजिल में शिफ्ट किया गया है, मगर वहां भी सुविधाओं की भारी कमी है। न शौचालय सुरक्षित हैं, न खाना पकाने की व्यवस्था।

जल निकासी में बाधा बनी नवनिर्मित पुलिया
स्कूल प्रशासन का कहना है कि पास में बना नया पुल जल निकासी के रास्ते को बंद कर रहा है। भारी वर्षा के कारण पानी पुल से बहकर सीधे स्कूल की ओर मुड़ गया, जिससे यह संकट खड़ा हुआ। कर्मचारियों के मुताबिक, "हम लगातार सफाई कर रहे हैं, लेकिन शौचालयों का पानी भर चुका है, किचन का सामान बह गया है। बस ऊपर के कमरे बचे हैं जहां बच्चों को किसी तरह रोका गया है।"
खामोशी में छिपी है मदद की पुकार
इन बच्चों की आंखें अब डर और असहायता की कहानी कह रही हैं। उनकी मुस्कान जो कभी पूरे परिसर को रौशन करती थी, अब नमी में डूबी आंखों में सिमट गई है। वे शिकायत नहीं कर सकते, न चीख सकते हैं, मगर उनकी परेशानी हर दृश्य में साफ झलक रही है।
अब तक नहीं पहुंची कोई सरकारी मदद
प्रशासन की ओर से अब तक कोई त्वरित राहत नहीं मिली है। स्कूल को तुरंत जल निकासी व्यवस्था, राहत सामग्री, अस्थायी टॉयलेट और भोजन की व्यवस्था की ज़रूरत है, लेकिन ये ज़रूरतें अभी अधूरी हैं। स्कूल प्रबंधन अपने स्तर पर संघर्ष कर रहा है, मगर बच्चों की सुरक्षा और सम्मान के लिए ठोस सरकारी हस्तक्षेप ज़रूरी है।