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हजारीबाग: मामूली बीमारी पर भी निजी अस्पताल भेजे जा रहे मरीज, डॉक्टरों की लापरवाही पर उठे सवाल

हजारीबाग जिले के सरकारी अस्पतालों की बदहाली कोई नई बात नहीं रही है, लेकिन हाल के दिनों में बरही प्रखंड अस्पताल से लगातार मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर करने की घटनाएं चिंता का विषय बन गई हैं। शिकायतें हैं कि मामूली बीमारियों में भी डॉक्टर मरीजों को प्राइवेट अस्पताल भेज रहे हैं, जिससे उन पर निजी संस्थानों से मिलीभगत का संदेह गहराता जा रहा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि कुछ डॉक्टर सरकारी अस्पताल में अपनी ड्यूटी निभाने से अधिक निजी नर्सिंग होम्स के हितों की चिंता करते दिखाई देते हैं। इस मुद्दे ने अब राजनीतिक रूप भी ले लिया है।

सांसद ने जताई नाराजगी
हजारीबाग से सांसद मनीष जायसवाल ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्थिति बद से बदतर हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि अब तो सरकारी पर्चियों पर ही मरीजों को एक खास निजी अस्पताल में भेजा जा रहा है, जो दर्शाता है कि यह सिलसिला सामान्य नहीं, बल्कि सुनियोजित है।

अक्सर मरीजों और उनके परिजनों को यह कहते सुना जाता है कि सरकारी अस्पताल में इलाज की गुणवत्ता को लेकर डॉक्टर खुद ही संदेह जताते हैं और उन्हें बेहतर इलाज के नाम पर निजी संस्थानों में भेज देते हैं। यह व्यवहार न केवल असंवेदनशील है, बल्कि गरीब मरीजों के साथ अन्याय भी है।

कार्रवाई की तैयारी में प्रशासन
सिविल सर्जन डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि संबंधित डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। उक्त डॉक्टर की नियुक्ति डीएमएफटी फंड के तहत हुई थी और उसके विरुद्ध पहले भी कई शिकायतें प्राप्त हो चुकी हैं। इस संदर्भ में उप विकास आयुक्त को रिपोर्ट सौंप दी गई है और सिफारिश की गई है कि उसे पद से हटा दिया जाए।