हेमंत ने हिमंता को लिखा पत्र, जानें क्या है वजह
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को पत्र लिखकर असम की चाय जनजातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की अपील की है। असम में चाय जनजातियों की संख्या लगभग 70 लाख है, लेकिन वर्तमान में उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। जबकि झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में यही समुदाय एसटी के रूप में मान्यता प्राप्त है।
आज मैंने पत्र लिख कर असम के मुख्यमंत्री श्री .@himantabiswa जी से असम में रह रहे चाय-जन जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का अनुरोध किया है। pic.twitter.com/lVIcClV9Dv
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 25, 2024
सरकारी योजनाओं से वंचित चाय जनजातियां
पत्र में बताया गया है कि चाय जनजातियों को सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनकी सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। विशेष रूप से शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं में आरक्षण का कम लाभ मिलने के कारण यह समुदाय लगातार पिछड़ता जा रहा है। समुदाय के सदस्यों का कहना है कि उन्हें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है और उनकी सामाजिक पहचान को संरक्षित रखने की आवश्यकता है। सीएम सोरेन ने इस स्थिति को सुधारने के लिए नीतिगत बदलावों की जरूरत पर जोर दिया है, ताकि चाय जनजातियों को उचित सुरक्षा और विकास के अवसर प्राप्त हो सकें।
असम की सांस्कृतिक विविधता के लिए महत्वपूर्ण कदम
पत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि चाय जनजातियों की पहचान और उनके योगदान को मान्यता देने से न केवल उन्हें लाभ मिलेगा, बल्कि यह असम की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को भी संरक्षित रखने में मददगार साबित होगा।