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जामताड़ा में गरजे हिमंता बिस्वा सरमा, इरफ़ान अंसारी और आलमगीर आलम पर जमकर साधा निशाना

असम के मुख्यमंत्री और झारखंड विधानसभा चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने आज जामताड़ा में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुये जनता से 'रोटी, बेटी और माटी' की रक्षा के लिये इस चुनाव में एकजुट होकर वोट करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह चुनाव सिर्फ उम्मीदवारों के बीच नहीं, बल्कि हमारी अस्मिता और संस्कृति को बचाने की लड़ाई है।  सरमा ने इरफान अंसारी और आलमगीर आलम पर निशाना साधते हुए कहा कि ये नेता समाज को बांटकर सत्ता में आते हैं और समाज को कमजोर करते हैं।

सरमा ने जनता से अपील की कि अगर वे एकजुट रहेंगे, तो इरफान अंसारी जैसे नेता कभी चुनाव नहीं जीत पाएंगे। उन्होंने कहा, “हमारे समाज को बांटकर ये लोग जीत हासिल करते हैं, लेकिन अगर हम एक रहेंगे, तो किसी भी राजनीतिक चाल से ये लोग हमें बांट नहीं पाएंगे। रामनवमी के जुलूस पर रोक लगाने की बात पर सरमा ने कहा कि अगर समाज एकजुट रहेगा, तो कोई भी रामनवमी का जुलूस रोकने की हिम्मत नहीं कर पाएगा।”

‘वोट देने से पहले सोचें, अपनी बेटियों की सुरक्षा का ख्याल रखें’
सरमा ने कहा कि इरफान अंसारी और आलमगीर आलम जैसे नेताओं को वोट देकर समाज की एकता को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने जनता को चेतावनी देते हुए कहा कि "वोट देने से पहले यह सोचें कि किसी दिन आपकी बेटी की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। अगर आप ऐसे नेताओं को वोट देंगे, तो वे अपनी जाति और रिश्तेदारों का ही पक्ष लेंगे, आपकी सुरक्षा के लिए नहीं खड़े होंगे।”

"संस्कृति की रक्षा के लिए जरूरी है एकजुटता"
सरमा ने कहा कि यह चुनाव सिर्फ जीतने का नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति को बचाने का चुनाव है। उन्होंने झारखंड के पाकुड़, साहिबगंज और जामताड़ा जैसे इलाकों में स्कूलों को शुक्रवार को बंद करने पर सवाल उठाया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “अगर उनके लिए शुक्रवार को छुट्टी हो सकती है, तो हमारे लिए भी मंगलवार को छुट्टी होनी चाहिए ताकि हम भी अपने धार्मिक कार्य कर सकें। धर्मनिरपेक्षता का मतलब सभी धर्मों का समान सम्मान होना चाहिए।”

"नमाज कक्ष के साथ हनुमान चालीसा की व्यवस्था हो"
झारखंड विधानसभा में नमाज कक्ष बनाने की योजना पर सवाल उठाते हुए सरमा ने कहा कि अगर नमाज के लिए जगह बनाई जाती है, तो हनुमान चालीसा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी जगह होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह देश किसी एक धर्म के इशारों पर नहीं चल सकता और इसे धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर ही चलना चाहिए।

"औरंगजेब-बाबर से भी नीच हैं ये नेता"
सरमा ने इरफान अंसारी और आलमगीर आलम की तुलना औरंगजेब और बाबर से करते हुए कहा कि ये नेता सत्ता के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि रामनवमी और दुर्गा पूजा जैसे त्योहारों के जुलूस पर रोक लगाने की कोशिश होती है, लेकिन मोहर्रम का जुलूस बिना किसी रुकावट के निकलता है। सरमा ने कहा, “यह वक्त है कि हम अपनी संस्कृति और अस्मिता की रक्षा के लिए एकजुट हों और ऐसे नेताओं को नकारें जो समाज को बांटने का काम करते हैं।”