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हाईकोर्ट की फटकार के बाद हरकत में आया आवास बोर्ड, अतिक्रमणकारियों के नाम अब होंगे सार्वजनिक

झारखंड राज्य आवास बोर्ड ने अतिक्रमण और अवैध व्यवसायिक उपयोग के मामलों को लेकर अब सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। बोर्ड की संपत्तियों — जिनमें जमीन और फ्लैट शामिल हैं — पर अवैध कब्जा और व्यवसायिक गतिविधियों को रोकने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है। अब तक बोर्ड द्वारा आरोपियों को नोटिस भेजकर कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाती थी, लेकिन झारखंड हाईकोर्ट की हालिया सख्ती के बाद अब नई रणनीति अपनाई गई है। इसके तहत अब संदिग्धों के नाम अखबारों में प्रकाशित किए जाएंगे, ताकि वे ‘नोटिस नहीं मिला’ जैसी दलीलों से बच न सकें।

आवास बोर्ड के अध्यक्ष संजय लाल पासवान ने बताया कि करीब 250 मामलों में पहले ही नोटिस जारी किए जा चुके हैं। यदि तीन बार नोटिस देने के बावजूद संतोषजनक जवाब नहीं मिलता, तो ऐसे मामलों में नाम उजागर करते हुए सार्वजनिक सूचना जारी की जाएगी।

बोर्ड के पास है न्यायिक अधिकार
बोर्ड के तहत चलने वाली अदालत में ऐसे मामलों की सुनवाई की जाती है। नोटिस के जवाबों के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं, परंतु यह प्रक्रिया लंबी चलती है और इसमें साक्ष्य एवं गवाहों की अहम भूमिका होती है। इस बीच, रांची, धनबाद, जमशेदपुर और हजारीबाग जैसे शहरों में आवास बोर्ड की जमीनों और फ्लैट्स पर अवैध कब्जा और बिना अनुमति के व्यवसायिक गतिविधियां जोरों पर हैं। हरमू आवासीय परिसर इसका ज्वलंत उदाहरण है, जहां हॉस्पिटल से लेकर दुकान और होटल तक बिना बोर्ड की अनुमति के खुलेआम संचालित हो रहे हैं। इससे बोर्ड को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।

इसके अलावा कई ऐसी जमीनें हैं जिनपर अब बोर्ड का नियंत्रण नहीं रहा और विवाद की स्थिति बन गई है। जिन लोगों को वैध तरीके से प्लॉट आवंटित किए गए थे, वे अब कागजी कार्यवाही के लिए कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं और न्यायालय में गुहार लगा रहे हैं।