झारखंड डीजीपी नियुक्ति विवाद: सुप्रीम कोर्ट में अब अगले सप्ताह होगी सुनवाई, बाबूलाल और डीजीपी ने दी दलीलें, सरकार का पक्ष बाकी
झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अनजारिया की पीठ ने मामले की सुनवाई की। याचिका भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा दाखिल की गई है, जिसमें न्यायालय की अवमानना का आरोप लगाया गया है।
सुनवाई के दौरान बाबूलाल मरांडी और डीजीपी की ओर से अधिवक्ता ने पक्ष रखा, जबकि राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल किसी अन्य पीठ में व्यस्त होने के कारण समय की मांग की। इस पर अदालत ने मामले को एक सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
प्रकाश सिंह मामले के आलोक में उठे सवाल
इस याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने प्रकाश सिंह की ओर से हस्तक्षेप याचिका (आईए) दाखिल करते हुए तर्क दिया कि विभिन्न राज्यों में डीजीपी की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों की अनदेखी करते हुए की जा रही है। उन्होंने आग्रह किया कि डीजीपी की नियुक्ति के लिए उसी प्रक्रिया को लागू किया जाए, जो सीबीआई निदेशक की नियुक्ति के लिए अपनाई जाती है।
बाबूलाल मरांडी की आपत्ति
बाबूलाल मरांडी ने याचिका में कहा है कि अनुराग गुप्ता को पहले अंतरिम डीजीपी बनाया गया था, जिन्हें चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव के दौरान हटा दिया था। बावजूद इसके, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें ही नियमित डीजीपी के पद पर नियुक्त कर दिया, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है।
मरांडी के वकील ने यह भी बताया कि यूपीएससी द्वारा बनाए गए पैनल की अनदेखी कर नियुक्ति की गई और सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार मामले में तय मानकों का उल्लंघन किया गया। ऐसे में यह नियुक्ति न्यायालय की अवमानना के दायरे में आती है।
डीजीपी की ओर से सफाई
अनुराग गुप्ता की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई लंबित नहीं है और उनकी नियुक्ति पूर्णतः सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप की गई है।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता ने बाबूलाल मरांडी द्वारा प्रस्तुत आपत्तियों का समर्थन करते हुए नियुक्ति पर सवाल उठाए। इसके साथ ही कोर्ट ने अन्य प्रतिवादी राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया।







