झारखंड में 1 सितंबर से बदलेगा शराब बिक्री का सिस्टम, निजी हाथों में होगी शराब की खुदरा बिक्री
झारखंड में शराब की खुदरा बिक्री व्यवस्था में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। 1 सितंबर 2025 से राज्य में शराब की रिटेल दुकानें अब निजी कंपनियों के माध्यम से संचालित की जाएंगी। इसके लिए ‘झारखंड उत्पाद (मदिरा की खुदरा बिक्री हेतु दुकानों की बंदोबस्ती एवं संचालन) नियमावली, 2025’ को लागू किया जा रहा है। उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने इसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है।

इस बदलाव के बीच सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या 1 सितंबर तक सभी शराब की दुकानें बंद रहेंगी? इस पर झारखंड शराब व्यापारी संघ के महासचिव सुबोध कुमार जायसवाल ने स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने बताया कि दुकानें पूरी तरह बंद नहीं होंगी, लेकिन मानव संसाधन की कमी के कारण कई खुदरा दुकानें फिलहाल बंद हो सकती हैं।
15 अगस्त तक पूरी होगी दुकान आवंटन प्रक्रिया
जायसवाल के अनुसार, आगामी 45 दिनों के भीतर राज्य सरकार ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से दुकानों का निजी हाथों में आवंटन करेगी। इससे पहले प्रत्येक दुकान के राजस्व लक्ष्य और प्रदर्शन का आकलन किया जाएगा। 15 अगस्त तक यह प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है। तब तक झारखंड बिवरेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (JSBCL) ही इन दुकानों का संचालन करेगा।
प्लेसमेंट एजेंसियों के स्टाफ से चल रहा है संचालन
इस दौरान JSBCL द्वारा नियुक्त प्लेसमेंट एजेंसियों के कर्मचारियों के जरिए ही कुछ दुकानों का संचालन हो रहा है। लेकिन स्टाफ की कमी के कारण कई दुकानों में संचालन ठप है। यही वजह है कि राज्य में फिलहाल कई शराब की दुकानें बंद पड़ी हैं।
जायसवाल ने बताया कि नई व्यवस्था लागू करने के पूर्व स्टॉक की हिसाब-किताब, हैंडओवर-टेकओवर और अन्य प्रक्रियाएं पूरी की जा रही थीं। इस वजह से कुछ समय तक कंपनियों को ऑर्डर नहीं दिए गए थे। अब भुगतान प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, और 2-3 दिनों में स्टॉक की आपूर्ति सामान्य हो जाएगी।
1600 के करीब होंगी दुकानें, खत्म होगी मनमानी
वर्तमान में झारखंड में करीब 1,453 खुदरा शराब दुकानें संचालित हो रही थीं। नई नीति के तहत यह संख्या बढ़कर लगभग 1,600 हो सकती है। इससे न केवल राज्य सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी, बल्कि निजी खिलाड़ियों की भागीदारी से बाजार में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी, जिससे ग्राहकों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।
अब तक प्लेसमेंट एजेंसियों के अधीन कर्मचारियों द्वारा मनमानी दरों पर शराब बेचे जाने और ओवरचार्जिंग की शिकायतें मिलती रही थीं। लेकिन नई व्यवस्था में प्रिंट मूल्य पर ही बिक्री सुनिश्चित की जाएगी और सभी दुकानों को विभिन्न ब्रांड्स और वैरायटीज़ का स्टॉक रखना अनिवार्य होगा।







