दुबई में फंसे झारखंड के श्रमिक, वतन वापसी की लगाई गुहार

झारखंड के तीन जिलों — गिरिडीह, हजारीबाग और धनबाद — से जुड़े प्रवासी मजदूर एक बार फिर विदेश में फंसे हुए हालात का शिकार हो गए हैं। इस बार दुबई में फंसे 15 श्रमिकों ने वीडियो जारी कर अपनी दर्दभरी स्थिति बयां की है। इन सभी मजदूरों ने मसाई कॉन्ट्रैक्टिंग एल.एल.सी. नामक कंपनी में रोजगार की उम्मीद से दुबई का रुख किया था, मगर पिछले तीन महीनों से इन्हें वेतन नहीं मिला है।
इन मजदूरों ने सोशल मीडिया के माध्यम से केंद्र सरकार और झारखंड सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें देश वापस लाया जाए, क्योंकि अब उनके पास खाने-पीने के भी साधन नहीं बचे हैं। वीडियो में उनकी व्यथा और लाचारी साफ झलक रही है।
सामाजिक कार्यकर्ता ने भी सरकार से की पहल की मांग
प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली ने भी इन मजदूरों की दुर्दशा पर चिंता जताई है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि इन लोगों को जल्द से जल्द भारत वापस लाने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने याद दिलाया कि इससे पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जहां मजदूरों को विदेशी धरती पर धोखा मिला — न वेतन मिला, न इंसानी बर्ताव।

फिलहाल झारखंड के बिष्णुगढ़ थाना क्षेत्र के दो मजदूरों के शव सऊदी अरब और कुवैत में पड़े होने की खबर है, जबकि गिरिडीह जिले के बगोदर से पांच मजदूर पश्चिमी अफ्रीका के नाइजर में दो महीने पहले अगवा कर लिए गए थे। अभी तक उनकी रिहाई नहीं हो पाई है।
इन श्रमिकों की पहचान
दुबई में फंसे मजदूरों में हजारीबाग के अलखरी खुर्द गांव के चुरामन महतो, चंद्रिका महतो, कैलाश महतो, उदयपुर के बिशुन महतो, जगन्नाथ सिंह, चितरामो के लखन सिंह, सुखदेव सिंह, गोविंदपुर के अर्जुन महतो, आंगो के जोलमी गांव के त्रिलोकी महतो, पलमा के बालेश्वर महतो शामिल हैं। गिरिडीह के अम्बाडीह गांव से बैजनाथ महतो और महेंद्र महतो, निमियांघाट के माकन से सीताराम महतो और मूरत महतो तथा धनबाद जिले के तोपचांची से संजय कुमार महतो भी इस सूची में हैं।