राहुल गांधी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी, हाईकोर्ट ने कहा-वारंट जारी हुआ तो क्यों नहीं हुए उपस्थित, अंडरटेकिंग दें

भारतीय जनता पार्टी पर की गई विवादास्पद टिप्पणी के मामले में कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। चाईबासा की एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था, जिसके बाद राहुल गांधी की ओर से कोर्ट में हाजिरी से छूट के लिए अर्जी लगाई गई थी।
कोर्ट ने 26 जून को उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य की थी, लेकिन राहुल गांधी की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि वे उस दिन किसी अन्य कार्यक्रम में व्यस्त रहेंगे और 6 अगस्त को अदालत में पेश हो सकते हैं। इस पर अदालत ने उनके वकील से लिखित अंडरटेकिंग मांगी कि वे निश्चित रूप से तय तारीख को पेश होंगे।

क्या है मामला?
यह मामला 28 मार्च 2018 का है, जब दिल्ली में आयोजित ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में राहुल गांधी ने बीजेपी को लेकर कथित रूप से अपमानजनक बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि “भाजपा में कोई भी हत्यारा अध्यक्ष बन सकता है... यह चोरों का गिरोह है।” इस बयान के बाद चाईबासा कोर्ट में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी।
लंबी चली कानूनी प्रक्रिया
इस मामले की सुनवाई चाईबासा एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही थी, जिसे बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर रांची स्थित एमपी-एसएलए स्पेशल कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया। वहां से राहुल गांधी को समन जारी किया गया, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए।
इसके बाद स्पेशल कोर्ट ने पहले जमानती और फिर गैर-जमानती वारंट जारी किया, लेकिन राहुल गांधी की ओर से कोई व्यक्तिगत उपस्थिति नहीं हुई। उनके वकील ने झारखंड हाईकोर्ट में वारंट रद्द करने की याचिका दाखिल की, जिसे खारिज कर दिया गया।
अब अदालत ने साफ संकेत दे दिया है कि यदि तय तारीख को भी राहुल गांधी पेश नहीं होते, तो आगे की कार्रवाई और कठोर हो सकती है। अदालत इस पूरे मामले को गंभीरता से ले रही है और बार-बार की गैरहाजिरी पर नाराजगी जाहिर कर चुकी है।