झारखंड में निजी रोजगार व्यवस्था बदहाल, श्रम विभाग का पोर्टल भी बना बाधा

झारखंड में युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार दिलाने की जिम्मेदारी श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग की है, लेकिन इस मोर्चे पर विभाग की स्थिति काफी कमजोर नजर आ रही है। विधानसभा में पेश किए गए आंकड़े चौंकाने वाले हैं। खासकर "jharniyojan.jharkhand.gov.in" पोर्टल का अपडेट न होना युवाओं के लिए भ्रम की स्थिति पैदा कर रहा है। हैरानी की बात यह है कि इतने गंभीर मुद्दे पर भी विभागीय अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
नियोजन पोर्टल में गड़बड़ी, गलत जानकारी से युवाओं में असमंजस
युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार दिलाने के लिए "jharniyojan.jharkhand.gov.in" पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है। लेकिन इस पोर्टल पर आज भी दावा किया जा रहा है कि निजी कंपनियों में 40,000 रुपये तक की सैलरी वाले 75% पदों पर स्थानीय युवाओं की नियुक्ति अनिवार्य है। जबकि सच यह है कि झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने दिसंबर 2024 में "The Jharkhand State Employment of Local Candidates in Private Sector Act, 2021" के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद, पोर्टल की जानकारी अपडेट नहीं की गई, जिससे युवा भ्रमित हो रहे हैं।

निजी क्षेत्र में रोजगार देने की गति बेहद धीमी
विधानसभा में भाजपा विधायक प्रदीप प्रसाद के सवाल के जवाब में विभाग ने जो आंकड़े प्रस्तुत किए, वे युवाओं के लिए निराशाजनक हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 28 फरवरी 2025 तक राज्य के विभिन्न नियोजनालयों में 3,51,953 युवक-युवतियां पंजीकृत हैं। लेकिन पिछले तीन वर्षों (2022 से मार्च 2024) में केवल 37,219 पंजीकृत उम्मीदवारों को रोजगार मिला। इनमें:
-2022-23 में रोजगार मेले के जरिए 4,369 और भर्ती कैंप के माध्यम से 6,985 युवाओं को नौकरी मिली।
-2023-24 में रोजगार मेले से 12,761 और भर्ती कैंप से 2,124 को रोजगार मिला।
-2024-25 में अब तक रोजगार मेले के जरिए 9,473 और भर्ती कैंप के जरिए 1,507 को नौकरी दी गई।
अगर कुल पंजीकृत बेरोजगारों से तुलना करें, तो केवल 12% को ही रोजगार मिला है, जो बेहद कम है।
सरकारी उदासीनता से रोजगार नीति पर सवाल
युवाओं के लिए नौकरी और नियोजन दो सबसे महत्वपूर्ण शब्द हैं, क्योंकि इन्हीं पर उनका भविष्य टिका होता है। सरकारी नौकरियां सीमित होने के कारण सरकार नियोजनालयों के माध्यम से निजी क्षेत्र में रोजगार दिलाने का प्रयास करती है, लेकिन झारखंड में यह व्यवस्था बेहद सुस्त है। श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग इस दिशा में अपेक्षित परिणाम देने में असफल साबित हो रहा है, जिससे युवाओं में नाराजगी बढ़ रही है।