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रांची के कुख्यात अपराधी सुरेंद्र बंगाली की प्रीमेच्योर रिहाई पर हाईकोर्ट में सुनवाई

राजधानी रांची में कभी आतंक का पर्याय रहे कुख्यात अपराधी सुरेंद्र सिंह रौतेला उर्फ सुरेंद्र बंगाली की प्रीमेच्योर रिहाई को लेकर आज झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। पिछले 25 वर्षों से जेल में बंद, सुरेंद्र बंगाली ने अदालत से अपनी रिहाई की गुहार लगाई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार का पक्ष रखने के लिए महाधिवक्ता को समय प्रदान किया है। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर रिहाई की अपील
सुरेंद्र बंगाली ने अपनी क्रीमिनल याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 2023 में दिए गए जोसेफ बनाम स्टेट ऑफ केरला फैसले का हवाला देते हुए प्रीमेच्योर रिहाई की मांग की है। उनका कहना है कि उन्हें 1996 में हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, और वह अब 25 साल से अधिक जेल में बिता चुके हैं। वर्ष 2003 में पुनरीक्षण बोर्ड ने उनकी रिहाई के आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने अब फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

फांसी की सजा से आजीवन कारावास में बदला गया था
सुरेंद्र बंगाली को वर्ष 1996 में लालपुर थाना क्षेत्र में हुई हत्या के मामले में निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद 2000 में झारखंड हाईकोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा था। लेकिन 2001 में सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को बदलकर आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया था। 

प्रीमेच्योर रिहाई के नियम
पहले आजीवन कारावास की सजा पाए कैदियों को 14 साल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया जाता था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, आजीवन कारावास का मतलब अब पूरी उम्र जेल में बिताना है। हालांकि, ऐसे कैदी 20 साल की सजा काटने के बाद पुनरीक्षण बोर्ड में अपील कर सकते हैं और प्रीमेच्योर रिहाई की मांग कर सकते हैं।