Movie prime

Ranchi: सरना धर्म कोड को आदिवासी एकता और आंदोलन का केंद्रीय लक्ष्य बनाकर संघर्ष तेज करना है: सालखन मुर्मू

रांची मोराबादी मैदान में बुधवार को संपन्न सरना धर्म कोड जनसभा को लेकर सेंगेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू कहा कि कई मामलों में जनसभा महत्वपूर्ण था जो  विशेष था और  सफल था। देश-विदेश के डेडीकेटेड/ कर्मठ आदिवासी कार्यकर्ता हजारों की संख्या में शामिल हुए। अधिकांश संताल आदिवासीयों के साथ-साथ मुंडा, उरांव, हो, भूमिज आदि भी पहली बार बड़ी संख्या में शामिल थे। रमेश सिंह सरदार के अलावे भी असम से अनेक भूमिज समाज के कार्यकर्ताओं ने योगदान किया। जनसभा में स्वर्गीय डॉक्टर करमा उरांव की पत्नी शांति उरांव और स्वर्गीय साहेबराम मुर्मू के पुत्र देवदुलाल मुर्मू तथा रमेश सिंह सरदार को सरना और संताली भाषा आंदोलन में योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

उन्होंनें कहा कि सेंगेल सात प्रदेशों - झारखंड बंगाल बिहार उड़ीसा असम त्रिपुरा और अरुणाचल के लगभग 50 आदिवासी बहुल जिलों के 400 प्रखंडों में आदिवासियों के सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक सशक्तीकरण के लिए संघर्षरत है। जनसभा की सफलता के लिए सेंगेल पुलिस- प्रशासन, पत्रकारों और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष योगदान करने वाले सभी नेता, कार्यकर्ता, जनता और संस्थानों को धन्यवाद करती है। कल के रांची सरना धर्म कोड जनसभा में घोषणा किया गया कि हर हाल में भारत के प्रकृति पूजक आदिवासियों की अस्तित्व रक्षा और धार्मिक आजादी के लिए सरना धर्म कोड लेना ही पड़ेगा। दूसरी घोषणा हुई कि भारत राष्ट्र के भीतर आदिवासी राष्ट्र को भी स्थापित करना है। जिसका केंद्र झारखंड होगा। शहीदों का सपना अबुअग दिशोम अबुअग राज को पूरा करना है। झारखंड बचेगा तो भारत के आदिवासी बचेंगे। अन्यथा संविधान-कानून प्रदत्त अधिकारों के बावजूद देश और झारखंड में आदिवासी मरने को मजबूर हैं। उनका हासा भाषा जाति धर्म रोजगार इज्जत आबादी सब कुछ लूट मिट रहा है।

सेंगेल सालखन मुर्मू ने सरना जनसभा कहा कि सरना धर्म कोड को आदिवासी एकता और आंदोलन का केंद्रीय लक्ष्य बनाकर संघर्ष तेज करना है। किसी भी पार्टी और उसके वोट को बचाने के बदले आदिवासी समाज को बचाना होगा। साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर झारखंड को केंद्रित करते हुए आदिवासी राष्ट्र के सपना  को भी साकार करना है। ताकि हम भारत के 15 करोड़ आदिवासी भी बंगाली बिहारी उड़िया पंजाबी गुजराती तमिल तेलुगू आदि की तरह अपनी अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी के साथ विकास के पथ पर अग्रसर हो सकें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यदि 15 नवंबर को उलिहातू में सरना धर्म कोड मान्यता की घोषणा नहीं करेंगे तो अगले 50 दिनों में जोरदार तैयारी करके 30 दिसंबर के भारत बंद को व्यापक सफल बनाना है।

आज का आदिवासी समाज मरणासन्न है। रोज मर रहा है। क्योंकि आदिवासी समाज/ धर्म के ऊपर राजनीति हावी है। जबकि गैर आदिवासी समाज/ धर्म राजनीति के ऊपर हावी है। अंतत: आदिवासी समाज/ धर्म को खुद आदिवासी नेता, आदिवासी जन संगठन और आदिवासी स्वशासन के वंशानुगत नियुक्त प्रमुख ही कमजोर कर रहे हैं। जबकि गैर आदिवासी समाज/ धर्म राजनीति को अपना सकारात्मक हथियार बनाकर अपने आप को समृद्ध कर रहे हैं। अतएव सेंगेल ने आदिवासी समाज/ धर्म को बचाने के लिए गांव-गांव में जन जागरण अभियान चलाकर गांव समाज के आदिवासियों को सरना धर्म कोड और आदिवासी राष्ट्र की परिकल्पना के साथ जोड़ने का संकल्प लिया है।