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ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम पहुंचे ईडी कार्यालय, पूछताछ शुरू

झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ईडी दफ्तर पहुंच चुके हैं। साथ ही ईडी अधिकारियों ने उनसे पूछताछ भी शुरू कर दी है। गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय ने रविवार को मंत्री आलमगीर आलम को समन जारी कर पूछताछ के लिए ईडी के जोनल ऑफिस में उपस्थित होने का आदेश दिया था।
गौरतलब है कि ईडी ने बीते पांच मई को टेंडर कमीशन घोटाला मामले को लेकर आलमगीर के निजी सचिव संजीव लाल समेत छह लोगों के कुल नौ ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान ईडी ने संजीव लाल और बिल्डर मुन्ना सिंह के ठिकानों से कुल 35.23 करोड़ बरामद किये थे. इस मामले में ईडी ने कार्रवाई करते हुए पांच मई की देर रात को आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल और उसके सहायक जहांगीर आलम को गिरफ्तार कर लिया था. जिसके बाद ईडी ने दोनों को कोर्ट में पेश किया और 13 मई तक रिमांड पर लिया है.
ईडी की टीम सात मई की दोपहर को मंत्री आलमगीर के निजी सचिव संजीव लाल को लेकर झारखंड मंत्रालय पहुंची थी. जहां ग्रामीण विकास विभाग के कार्यालय स्थित संजीव लाल के चैंबर में ईडी ने तलाशी ली और कई कागजातों की जांच की. तलाशी के दौरान ईडी को एक ड्रॉवर से करीब दो लाख मिले थे. ईडी को जानकारी मिली है कि झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग में भ्रष्टाचार और ठेकों से कमीशन के नाम पर उगाही का पैसा संजीव लाल तक पहुंचता था. पैसों की उगाही के लिए वह विभाग के इंजीनियरों व कुछ प्राइवेट लोगों का इस्तेमाल किया करता था. ईडी ने कोर्ट को भी बताया है कि झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के निचले अधिकारियों से लेकर उच्च पदस्थ पदाधिकारियों का नेक्सस इस करप्शन में शामिल है. अफसर-नेताओं तक करोड़ों रुपये पहुंचे हैं. इन सभी को काफी बड़ी मात्रा में कैश पैसे पहुंचाये जाने की बात शुरुआती जांच में सामने आयी है.
राजनेताओं और अफसरों का कमीशन 1.5 प्रतिशत
ईडी ने जांच में पाया है कि विभागीय ठेकों में कुल 3.2 प्रतिशत की उगाही होती थी. इसमें 1.5 प्रतिशत का कमीशन कट मनी के तौर पर बड़े राजनेता और विभाग के बड़े अधिकारियों तक जाती थी. जांच में यह बात सामने आयी है कि संजीव लाल की देखरेख में कमीशन का कलेक्शन प्रभावशाली लोगों तक जाता था. टेंडर मैनेज करने और कमीशन की उगाही तक में इंजीनियरों के सिंडिकेट के साथ मिलकर रकम की उगाही होती थी. इसके बाद तय परसेंटेज सरकार के उच्च पदस्थ लोगों तक पहुंचायी जाती थी. जांच में कुछ आईएएस अधिकारियों व नेताओं की भूमिका बड़े संदिग्ध के तौर पर उभरी है.
तीन माह में जमा किया गया था 35.23 करोड़ रूपया कमीशन
ईडी जांच में आए तथ्यों के मुताबिक, जहांगीर के गाड़ीखाना स्थित फ्लैट से जो 31.20 करोड़ रुपये बरामद किए गए थे, वह महज तीन माह में जमा किए गए थे. फ्लैट की खरीद भी कुछ माह पूर्व जहांगीर के नाम पर सिर्फ इसलिए की गई थी, ताकि यहां पैसों को रखा जा सके. मुन्ना सिंह के यहां से बरामद 2.93 करोड़ रुपये भी यहीं शिफ्ट किए जाने थे, लेकिन इससे पहले ईडी की टीम ने छापेमारी कर इन पैसों को बरामद कर लिया.