संतोष गंगवार बने झारखंड के राज्यपाल, बरेली से आठ बार रह चुके हैं सांसद
Jul 28, 2024, 11:18 IST
बरेली से आठ बार सांसद रह चुके संतोष गंगवार अब झारखंड के राज्यपाल के रूप में अपनी नई जिम्मेदारी संभालेंगे। राष्ट्रपति द्वारा उन्हें इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया गया है। बरेली से राज्यपाल बनने वाले वह पहले राजनेता हैं। उन्होंने वर्ष 1989 से 2004 तक लगातार सांसद के रूप में कार्य किया, सिर्फ वर्ष 2009 में कांग्रेस ने उनके विजय रथ को रोका था। इसके बाद वर्ष 2014 और 2019 में फिर से सांसद चुने गए। वह अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी की सरकारों में मंत्री भी रह चुके हैं।
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में उनकी आयु 75 वर्ष होने के कारण उनका टिकट काट दिया गया था। उनकी जगह पार्टी ने छत्रपाल गंगवार को मैदान में उतारा था। लेकिन उसी समय से संतोष गंगवार को भविष्य में बड़ी जिम्मेदारी मिलने के संकेत मिल रहे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीलीभीत में एक जनसभा में उनसे मिलने के अंदाज से साफ कर दिया था कि भले ही उनका टिकट कट गया है, लेकिन उनका प्रभाव कम नहीं हुआ। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी उन्हें अलग-अलग कार्यक्रमों में पूरा सम्मान दिया।
रात 12 बजे राष्ट्रपति भवन से जारी विज्ञप्ति के बाद जब यह खबर सार्वजनिक हुई कि संतोष गंगवार को राज्यपाल नियुक्त किया गया है, तो वह घर पर विश्राम कर रहे थे। जब बधाइयों का सिलसिला शुरू हुआ तो रात डेढ़ बजे के बाद वह जाग गए और बधाई स्वीकार करते हुए आभार जताया। उनके समर्थकों ने भी इस मौके पर मिठाई बांटी।
संतोष गंगवार का राजनीतिक सफर वर्ष 1984 से शुरू हुआ था जब उन्होंने पहला चुनाव लड़ा था, हालांकि वह कांग्रेस उम्मीदवार आबिदा बेगम से हार गए थे। इसके बाद 1989 में उन्होंने फिर से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद वर्ष 1991, 1996, 1998, 1999, और 2004 में लगातार जीत हासिल की। उनकी पहचान कुर्मी बिरादरी के प्रभावशाली नेता के रूप में है, हालांकि वह सभी वर्गों में लोकप्रिय हैं। वर्ष 2009 में कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन ने उन्हें हराया था, लेकिन 2014 और 2019 में वह फिर से जीतकर आए।
संतोष गंगवार की राजनीतिक यात्रा को उनकी अनुशासनप्रियता और बेदाग छवि के कारण सराहा जाता है। आठ बार सांसद रहने के बावजूद, टिकट कटने पर भी उन्होंने पार्टी के प्रति वफादारी दिखाई और अब उन्हें इस अनुशासन का फल राज्यपाल की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के रूप में मिला है।