हजारीबाग के डीएफओ पर गंभीर आरोप, सरकार ने दिए जांच के निर्देश
हजारीबाग के पश्चिमी वन प्रमंडल पदाधिकारी (DFO) मौन प्रकाश के खिलाफ गंभीर आरोप सामने आए हैं, जिस पर राज्य सरकार ने संज्ञान लेते हुए जांच का आदेश जारी किया है। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से अवर सचिव मितरंजु कुमार ने आदेश जारी करते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) को निर्देश दिया है कि एक महीने के भीतर विस्तृत जांच कर स्पष्ट राय के साथ रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाए।
सामाजिक कार्यकर्ता ने उठाए सवाल
बड़कागांव निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता शनिकांत उर्फ मंटू सोनी ने डीएफओ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उनके अनुसार, डीएफओ मौन प्रकाश ने भारत सरकार की फॉरेस्ट कंडीशन (FC) नियमों का उल्लंघन करते हुए एनटीपीसी को सड़क के माध्यम से कोयला परिवहन की अनुमति दी। आरोप है कि इस निर्णय को जायज ठहराने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को गुमराह करने वाली रिपोर्ट भेजी गई। साथ ही, चट्टी बरियातू कोल परियोजना के लिए फॉर्म-ए में फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर फॉरेस्ट क्लीयरेंस प्राप्त करने का प्रयास किया गया। इतना ही नहीं, नॉर्थ वेस्ट कोल परियोजना के संदर्भ में भी प्रभावशाली लोगों के दबाव में आकर जानबूझकर गलत रिपोर्ट तैयार की गई।
सरकार ने जांच को कहा प्राथमिकता
सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए PCCF को आदेश दिया है कि वे सभी बिंदुओं की गंभीरता से जांच करें और समयसीमा के भीतर स्पष्ट तथ्यों के साथ रिपोर्ट विभाग को सौंपें। यह जांच यह तय करेगी कि डीएफओ पर लगाए गए आरोपों में कितनी सच्चाई है।
जांच के बाद होगी कार्रवाई: PCCF अशोक कुमार
प्रधान मुख्य वन संरक्षक अशोक कुमार ने एक मीडिया बातचीत में कहा कि डीएफओ पर लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष जांच की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जांच पूरी होने के बाद ही कोई ठोस टिप्पणी संभव है। विभाग सरकार द्वारा तय की गई समयसीमा में जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपेगा।
अब सबकी निगाहें इस जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि पश्चिमी वन प्रमंडल के इस अधिकारी पर आरोप साबित होते हैं या नहीं, और यदि होते हैं, तो सरकार की अगली कार्रवाई क्या होगी।







