सिमडेगा : गांवों में बुनियादी सुविधाओं की किल्लत, खाट पर झूलता सिस्टम
सिमडेगा जिले के ताराबोगा पंचायत के कुरूमडेगी गांव में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अत्यंत दयनीय है। यहाँ अगर कोई बीमार पड़ता है तो उसे खटिया में लादकर एक किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है। इसी गांव के निवासी फिरू सिंह की बीमारी के दौरान ग्रामीणों ने उन्हें खटिया में लादकर पैदल अस्पताल पहुँचाया।
सड़क और पुलों की कमी
गांव तक पहुँचने के लिए कोई सड़क या पुल नहीं है। गांव से पक्की सड़क तक पहुँचने के लिए एक किलोमीटर की कच्ची सड़क की यात्रा करनी पड़ती है। बीमार व्यक्ति को खटिया पर लादकर इस पक्की सड़क तक लाया जाता है और फिर एंबुलेंस या किसी अन्य वाहन के माध्यम से अस्पताल भेजा जाता है। गांव वालों की मदद से ही यह यात्रा संभव हो पाती है। आमतौर पर छोटी बीमारियों का इलाज गांव में ही किया जाता है, गंभीर हालत में ही अस्पताल ले जाया जाता है।
बरसात के मौसम में शहर से कट जाते हैं कई गांव
सिमडेगा जिले के कई गांवों की स्थिति भी ऐसी ही है। नदी में पुलों की कमी और खराब सड़कें बरसात के दिनों में इन गांवों को पूरी तरह से शहरी इलाकों से काट देती हैं। गंभीर बीमारियों की स्थिति में ग्रामीणों को खटिया पर लादकर नदी पार करनी पड़ती है और फिर अस्पताल पहुंचाना होता है। कुसकेला पंचायत के सरलोंगा कुईटोली गांव, कोलेबिरा प्रखंड के सकोरला एरेंगा टोली, जलडेगा इलाके के हुतुतुआ स्कूल टोली और खरवागढ़ा गट्टीगढ़ा गांव जैसे कई इलाकों में सड़क और सरकारी सुविधाओं की घातक कमी है।
समस्या की अनदेखी
ग्रामीणों को केवल गंभीर बीमारियों के समय ही नहीं, बल्कि जरूरी कार्यों के लिए भी शहर जाना पड़ता है। बरसात के दिनों में यदि नदी में पानी बढ़ जाए तो गांव पूरी तरह से कट जाता है। ग्रामीणों ने कई बार अपनी समस्याएँ जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों के सामने रखी हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है।