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निशिकांत दुबे के विवादित बयान पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तैयारी, सोशल मीडिया से बयान के वीडियो हटाने की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के विवादास्पद बयान को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है। अदालत ने इस याचिका को अगले सप्ताह सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के खिलाफ दिए गए दुबे के बयान को लेकर दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस तरह के आपत्तिजनक वीडियो को सोशल मीडिया से हटाया जाए। यह मामला जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजे मसीह की खंडपीठ के समक्ष त्वरित सुनवाई के लिए प्रस्तुत किया गया था।

क्या कहा था दुबे ने?
भाजपा सांसद ने 19 अप्रैल को एक बयान में कहा था कि देश में गृह युद्ध की स्थिति के लिए CJI संजीव खन्ना और धार्मिक संघर्ष भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। वह यह टिप्पणी उस फैसले के संदर्भ में कर रहे थे, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति को विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए तीन महीने की समय सीमा निर्धारित की थी। यह आदेश 8 अप्रैल को दिया गया था।

अवमानना को लेकर कई पहल
दुबे के खिलाफ पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में एक आपराधिक अवमानना याचिका दायर की। इससे पहले, वरिष्ठ वकील नरेंद्र मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर स्वतः संज्ञान लेकर अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया था। इसके साथ ही वकील अनस तनवीर और शिवकुमार त्रिपाठी ने देश के अटॉर्नी जनरल को पत्र लिखकर अनुमति मांगी है, ताकि दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सके।

भाजपा ने बनाई दूरी
दुबे के बयान से पार्टी ने स्वयं को अलग कर लिया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि पार्टी का ऐसे किसी भी बयान से कोई लेना-देना नहीं है। भाजपा इन बयानों को पूरी तरह अस्वीकार करती है।उन्होंने आगे लिखा कि भाजपा हमेशा न्यायपालिका का सम्मान करती रही है और कोर्ट के हर आदेश तथा सुझाव को खुले दिल से स्वीकार किया है। नड्डा ने यह भी बताया कि उन्होंने संबंधित नेताओं को ऐसे बयान न देने की सख्त हिदायत दी है। संविधान और लोकतंत्र की रक्षा सर्वोपरि है, और भाजपा न्यायिक संस्थाओं को उसके आधारस्तंभ के रूप में देखती है।