बढ़ते कानूनी विवादों से परेशान झारखंड सरकार, सभी विभागों में लॉ अफसरों की तैनाती की तैयारी

झारखंड सरकार ने राज्य के विभिन्न विभागों में लॉ अफसरों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने इस दिशा में पहल करते हुए सभी विभागों से लंबित मामलों की सूची मांगी है। साथ ही लॉ अफसरों की नियुक्ति संबंधी प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री को भेजा जा रहा है।
सरकार का मानना है कि विभागों में विधिक अधिकारियों की मौजूदगी से न केवल केसों की संख्या में कमी आएगी, बल्कि विभागीय निर्णय लेने से पहले ली गई राय से न्यायालयों में अनावश्यक मुकदमेबाजी भी रुकेगी। हाल के वर्षों में बढ़ते केसों और उस पर होने वाले खर्च से सरकार चिंतित है और इसे नियंत्रित करने के उपायों की तलाश में है।

वर्तमान में किसी भी विभाग में नहीं है स्थायी लॉ अफसर
फिलहाल राज्य के 33 विभागों में कोई भी विभागीय स्तर का लॉ अफसर कार्यरत नहीं है। विधि संबंधी परामर्श लेने के लिए सभी विभाग विधि विभाग की मदद लेते हैं, जहां विभिन्न स्तर के विधिक विशेषज्ञ तैनात हैं। जरूरत पड़ने पर विधि विभाग, मामलों को महाधिवक्ता कार्यालय को भेजता है, जो इन फाइलों पर अपना कानूनी मत देता है।
सिर्फ सर्विस मैटर से जुड़े हैं 26 हजार से अधिक केस
हाल ही में सरकार द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सर्विस मैटर से जुड़े 26 हजार से भी ज्यादा केस लंबित हैं। अकेले स्कूली शिक्षा विभाग पर 9 हजार से अधिक मुकदमे हैं, जबकि स्वास्थ्य विभाग दूसरे स्थान पर है। इनके अलावा गृह, वित्त, कार्मिक जैसे विभाग भी बड़ी संख्या में केसों से जूझ रहे हैं।
सरकार का इरादा है कि विभागीय स्तर पर लॉ अफसरों की तैनाती से कानूनी प्रक्रिया अधिक प्रभावी और तेज़ होगी, जिससे न केवल न्यायिक बोझ कम होगा बल्कि सरकारी निर्णय भी अधिक कानूनी रूप से सुदृढ़ होंगे।