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देवघर में होली की अनोखी परंपरा: होलिका दहन नहीं, हरि-हर मिलन से होती है होली की शुरुआत!

पूरा देश होली के रंग में सराबोर होने को तैयार है, और इसी उत्सव का प्रभाव देवघर के प्रसिद्ध बैद्यनाथ धाम मंदिर में भी देखने को मिल रहा है। यहां हरि-हर मिलन की तैयारियां जोरों पर हैं। यह विशेष आयोजन गुरुवार रात 10 बजे मंदिर परिसर में होगा, जिसे हिंदू परंपराओं में अत्यंत पवित्र माना जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हरि-हर मिलन का अर्थ भगवान विष्णु (हरि) और भगवान महादेव (हर) के मिलन से जुड़ा है। इस अनूठी परंपरा के पीछे यह मान्यता है कि भगवान विष्णु ने स्वयं देवघर में भगवान शिव की स्थापना की थी, इसलिए इस दिन को विशेष श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

मंदिर के वरिष्ठ पुजारी बाबा झलक बताते हैं कि इस आयोजन के दर्शन मात्र से भक्तों को अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। पूरे देश में जहां होलिका दहन के साथ होली की शुरुआत होती है, वहीं देवघर में हरि-हर मिलन को अधिक महत्व दिया जाता है। यहां होली की शुरुआत इसी पावन आयोजन से मानी जाती है।

इस दिन राधा-कृष्ण मंदिर, आजाद चौक से भगवान विष्णु की झांकी निकाली जाती है, जो बैद्यनाथ धाम स्थित भगवान भोलेनाथ के मंदिर तक पहुंचती है। वहां भगवान विष्णु और महादेव के मिलन को धूमधाम से मनाया जाता है। गुरुवार को भी इसी परंपरा को निभाते हुए भव्य आयोजन किया जाएगा। हरि-हर मिलन की यह अद्वितीय परंपरा देवघर की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक अहम हिस्सा है, जिसे देखने के लिए दूर-दराज से भक्तगण पहुंचते हैं।