सीटी बजाओ अभियान 2.0 : हाजिरी की सीटी ने बदली तस्वीर, रांची के स्कूलों में बढ़ी बच्चों की उपस्थिति

रांची जिले में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई ऊर्जा देखने को मिल रही है। उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री के मार्गदर्शन में चलाया जा रहा 'सीटी बजाओ अभियान 2.0' सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति, ठहराव और पढ़ाई की गुणवत्ता में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।
क्या है ‘सीटी बजाओ अभियान 2.0’?
यह पहल झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग और रांची जिला प्रशासन की साझेदारी से शुरू की गई है। इसका मकसद है—हर बच्चे को स्कूल तक पहुंचाना, ड्रॉपआउट पर लगाम लगाना और शिक्षा को प्रभावी बनाना। यह कार्यक्रम सबसे पहले सिमडेगा में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू हुआ था और सफलता मिलने के बाद इसे वर्ष 2024 में पूरे झारखंड में लागू किया गया। रांची जिले में इसे और सशक्त रूप में प्रस्तुत किया गया है।
यहां हर सुबह स्कूल के हाउस कैप्टन और क्लास मॉनिटर सीटी बजाकर मोहल्लों और गांवों में बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित करते हैं। साथ ही सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों को जोड़ा जा रहा है।

अभियान के मुख्य उद्देश्य:
-सभी बच्चों का स्कूल में नामांकन सुनिश्चित करना
-बच्चों की नियमित उपस्थिति में सुधार लाना
-ड्रॉपआउट को न्यूनतम करना
-शिक्षा की गुणवत्ता को ऊंचा उठाना
-समुदाय की भागीदारी को सशक्त बनाना
रांची में चल रही प्रमुख गतिविधियाँ:
सीटी पहल: स्कूल जाने की प्रेरणा का नया तरीका बना
‘रांची स्पीक्स’ कार्यक्रम: बच्चों में आत्मविश्वास और संवाद क्षमता का विकास
‘बैक टू स्कूल’ अभियान: 1003 ऐसे बच्चों को स्कूल लाने का लक्ष्य, जिनका नामांकन नहीं हुआ था
सामुदायिक सहयोग: शिक्षक, माता-पिता, पंचायत प्रतिनिधि सभी मिलकर निभा रहे हैं भूमिका
अब तक की उपलब्धियाँ:
-ग्रामीण इलाकों में बच्चों की उपस्थिति में बड़ा सुधार
-स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में कमी
-शिक्षा को लेकर ग्रामीण समाज में बढ़ी जागरूकता
-छात्रों में आत्मविश्वास और बोलचाल की कला में निखार
आने वाले कदम:
-स्कूलों में डिजिटल उपस्थिति प्रणाली का विस्तार
-शिक्षकों को आधुनिक और नवाचारपूर्ण शिक्षण विधियों का प्रशिक्षण
-विद्यालय भवनों और सुविधाओं का उन्नयन
-शिक्षा व्यवस्था पर सतत निगरानी और मूल्यांकन की प्रणाली
रांची के डीसी मंजूनाथ भजंत्री का कहना है, “यह अभियान महज एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि शिक्षा को लेकर सामाजिक चेतना का आंदोलन बन चुका है। हमारा उद्देश्य है कि जिले का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।” उन्होंने सभी नागरिकों से इस पहल में भाग लेने की अपील की है ताकि मिलकर एक शिक्षित और समावेशी झारखंड की नींव रखी जा सके।