जोहार परियोजना ने बदली ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तस्वीर, विश्व बैंक ने की सराहना
झारखंड में ग्रामीण विकास को एक नई दिशा देने वाली ‘जोहार परियोजना’ को विश्व बैंक ने सराहते हुए इसकी उपलब्धियों की खुलकर प्रशंसा की है। यह परियोजना ग्रामीण विकास विभाग के तहत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) द्वारा चलाई जा रही है और इसने महज़ चार वर्षों में ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव लाया है।
इस परियोजना के अंतर्गत महिलाओं के नेतृत्व वाले 21 फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) ने अब तक 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार कर दिखाया है। यह आंकड़ा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व क्षमता का स्पष्ट प्रमाण है।
“Today, we understand every aspect of our business — from profit margins to market trends. We’ve learned to negotiate together and know we don’t have to settle for less.” Meet Asha Devi, Chairperson of Kanke’s producer group under #JOHAR, who is one of thousands of women… pic.twitter.com/d7Rg3C8zdX
— World Bank India (@WorldBankIndia) July 14, 2025
कांके की प्रोड्यूसर ग्रुप चेयरपर्सन आशा देवी और उनके जैसे हजारों महिलाओं को विश्व बैंक ने अपनी पोस्ट में सराहा है। उन्होंने कहा कि अब ये महिलाएं व्यवसाय के हर पहलू को समझती हैं—चाहे वह लाभ मार्जिन हो या बाज़ार की माँग। साथ मिलकर काम करने, निर्णय लेने और अपने हक की बात रखने की कला भी इन्होंने सीख ली है।
जोहार परियोजना क्या है?
‘JOHAR’ का पूरा नाम है – Jharkhand Opportunities for Harnessing Rural Growth। यह योजना मई 2017 से जून 2024 तक चली। इसका संचालन विश्व बैंक के सहयोग से किया गया, जिसमें 70% सहायता ऋण विश्व बैंक से और 30% अंश राज्य सरकार द्वारा दिया गया।
परियोजना का प्रभाव
जेएसएलपीएस के अनुसार, यह परियोजना झारखंड के 17 जिलों के 68 प्रखंडों में लागू हुई। इसके तहत:
- 3,500 उत्पादक समूहों के ज़रिए 2 लाख ग्रामीण परिवारों की आय में वृद्धि हुई।
- 2.24 लाख उत्पादकों को संगठित कर 3,922 उत्पादक समूहों का गठन किया गया।
- 17,000 सामुदायिक कैडरों को प्रशिक्षित कर स्थानीय महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया गया।
- यह योजना मुख्यतः कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, और लघु वनोपज जैसे क्षेत्रों में केंद्रित रही।
जोहार परियोजना आज झारखंड के ग्रामीण समाज, विशेषकर महिलाओं के सशक्तिकरण की एक सफल मिसाल बनकर उभरी है और अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणास्रोत साबित हो रही है।







