26/11 जांचकर्ता देवेन भारती संभालेंगे मुंबई पुलिस की कमान, जानिये कौन हैं ‘सुपरकॉप’ देवेन भारती

मुंबई पुलिस को नया पुलिस कमिश्नर मिल गया है। 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी देवेन भारती को इस जिम्मेदारी के लिए चुना गया है। वे विवेक फणसलकर की जगह लेंगे, जो 30 अप्रैल को अपनी 35 वर्षों की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हो रहे हैं। देवेन भारती, जो अब तक स्पेशल कमिश्नर के रूप में कार्यरत थे, को महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस का करीबी भी माना जाता है।
देवेन भारती मूल रूप से बिहार के दरभंगा के रहने वाले हैं। उनकी स्कूली शिक्षा झारखंड में हुई और उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वे बिहार कैडर से हैं लेकिन अपने करियर का अधिकांश हिस्सा मुंबई में विभिन्न उच्च पदों पर बिताया है। वे सबसे लंबे समय तक जॉइंट कमिश्नर (लॉ एंड ऑर्डर) के रूप में कार्य करने वाले अधिकारियों में शामिल रहे हैं। बाद में उन्हें एडिशनल डीजी के पद पर प्रमोट करके महाराष्ट्र एंटी टेररिज़्म स्क्वॉड (ATS) का प्रमुख भी बनाया गया।

भारती ने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके नेतृत्व और अपराध नियंत्रण की रणनीति की सराहना होती रही है। वर्ष 2014 से 2019 के दौरान, जब देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे, भारती को मुंबई पुलिस के सबसे प्रभावशाली अधिकारियों में गिना जाता था।
हालांकि, महाराष्ट्र में जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास अघाड़ी सरकार सत्ता में आई, तब भारती को अहम जिम्मेदारियों से हटा दिया गया। उन्हें महाराष्ट्र राज्य सुरक्षा निगम (MSSC) की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी, जिसे राजनीतिक तौर पर ‘साइडलाइन’ किया जाना माना गया।
देवेन भारती केंद्र सरकार के डेप्युटेशन पर भी कार्य कर चुके हैं। लेकिन उनका करियर पूरी तरह विवादों से अछूता नहीं रहा। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, उनके ऊपर अंडरवर्ल्ड से कथित संबंध होने के आरोप लगे थे। पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडे की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारती का संपर्क दाऊद इब्राहिम से जुड़े अपराधियों से रहा है। हालांकि यह रिपोर्ट एक अपराधी के बयान पर आधारित थी और 2022 में शिंदे-फडणवीस सरकार ने इसे खारिज कर दिया था।
एक अन्य मामले में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी। आरोप था कि उन्होंने बीजेपी नेता हैदर आज़म की पत्नी के पासपोर्ट मामले में फर्जी दस्तावेज़ों को लेकर केस दर्ज नहीं किया। लेकिन बाद में चार्जशीट में उनका नाम नहीं आया। यह मामला भी महाविकास अघाड़ी सरकार के कार्यकाल के दौरान ही सामने आया था।