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भोपाल : झारखंड के रचनाकार श्यामल बिहारी महतो वनमाली कथा सम्मान समारोह में किया सम्मानित

भोपाल में आयोजित वनमाली कथा सम्मान समारोह के दौरान वरिष्ठ लेखिका ममता कालिया ने पढ़ने-लिखने की संस्कृति के गिरते स्तर पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में पुस्तकों और साहित्य से लोगों की दूरी बढ़ती जा रही है, जिससे हमारी समृद्ध साहित्यिक विरासत पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं। इस सम्मान समारोह में झारखंड के प्रख्यात रचनाकार श्यामल बिहारी महतो को उनकी कहानी जंगल के दावेदार (जो रिटायरमेंट के बाद नाम से प्रकाशित हुई) के लिए सम्मानित किया गया। अब तक उन्होंने 80 से अधिक कहानियां और कई उपन्यास लिखे हैं।

समारोह में देशभर से प्रसिद्ध साहित्यकार और विद्वान शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान प्रो. अनिल जोशी, प्रेम जनमेजय, पंकज सुबीर, शशिकांत चतुर्वेदी समेत अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने साहित्य और संस्कृति के महत्व पर अपने विचार साझा किए। ममता कालिया ने अपने संबोधन में कहा कि नई पीढ़ी को अध्ययन की आदत बनाए रखने के लिए साहित्य और शिक्षा को प्रोत्साहित करना जरूरी है। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि पढ़ने-लिखने की परंपरा को सुदृढ़ बनाने के लिए युवाओं को प्रेरित करना आवश्यक है।

इस आयोजन में साहित्यिक योगदान देने वाले रचनाकारों को 'वनमाली कथा सम्मान' से नवाजा गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य साहित्य और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ समाज में साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। इस पूरे आयोजन का संचालन कुणाल सिंह ने किया, जो वनमाली पत्रिका के संपादक हैं।