होम लोन धारकों को बड़ी राहत, आरबीआई ने रेपो रेट में की 0.25% की कटौती, सस्ती होगी ईएमआई

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक 7 फरवरी को समाप्त हो गई। यह बैठक 5 फरवरी से शुरू हुई थी। इस बार बैठक खास रही क्योंकि नए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपने पहले ही फैसले में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर दी। अब रेपो रेट 6.50 फीसदी से घटकर 6.25 फीसदी हो गई है। यह फैसला 56 महीने बाद लिया गया है, जिससे होम और कार लोन लेने वालों को बड़ी राहत मिलेगी।
देश की जीडीपी ग्रोथ का नया अनुमान
आरबीआई गवर्नर के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में भारत की आर्थिक विकास दर 6.75% रह सकती है। पहली तिमाही में यह 6.7% रहने का अनुमान है, जबकि दूसरी तिमाही में बढ़कर 7% हो सकती है। तीसरी और चौथी तिमाही के लिए आरबीआई ने 6.5% जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान जताया है। पिछले दिसंबर में हुई एमपीसी बैठक में पहली तिमाही के लिए ग्रोथ रेट 6.9% और दूसरी तिमाही के लिए 7.3% आंकी गई थी, लेकिन इस बार इसमें 20-30 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई है।

महंगाई दर का पूर्वानुमान
आरबीआई के अनुसार, मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई दर 4.8% रह सकती है। हालांकि, चौथी तिमाही में यह 4.4% से बढ़कर 4.5% हो गई है। वित्त वर्ष 2026 में महंगाई दर 4.2% रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में यह 4.6%, दूसरी में 4%, तीसरी में 3.8% और चौथी में 4.2% रह सकती है।
बैंकिंग सुरक्षा के लिए नया इंटरनेट डोमेन
डिजिटल बैंकिंग और साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए आरबीआई ने खास कदम उठाए हैं। अब भारतीय बैंकों के लिए एक विशेष इंटरनेट डोमेन ‘bank.in’ शुरू किया जाएगा, जिसका पंजीकरण अप्रैल से शुरू होगा। बाद में पूरे वित्तीय क्षेत्र के लिए ‘fin.in’ डोमेन भी लागू किया जाएगा। इसके अलावा, डिजिटल भुगतान की सुरक्षा के लिए विदेशी व्यापारियों के ऑनलाइन भुगतान पर अतिरिक्त प्रमाणीकरण की व्यवस्था भी लागू की जाएगी।
भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि भारत 129.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रेषण के साथ वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बना हुआ है। 31 जनवरी तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 630 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है, जो 10 महीने से अधिक का आयात कवर करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारत का बाहरी क्षेत्र लचीला है और विनिमय दर नीति स्थिर बनी हुई है।
56 महीने बाद ब्याज दरों में कटौती
मई 2020 के बाद यह पहली बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की है। इससे पहले, फरवरी 2023 से ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ था। इससे पहले आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी ही की थी, लेकिन अब 56 महीने बाद पहली बार कटौती हुई है, जिससे आम जनता को राहत मिलेगी।
क्या है रेपो रेट और इसका असर?
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। अगर रेपो रेट बढ़ती है, तो बैंकों के लिए उधारी महंगी हो जाती है और इसका असर ग्राहकों की ईएमआई पर पड़ता है। वहीं, रेपो रेट घटने से होम, कार और अन्य लोन सस्ते हो जाते हैं, जिससे आम लोगों को फायदा होता है। इस फैसले के बाद लोन की ईएमआई में कमी आएगी, जिससे करोड़ों लोगों को राहत मिलेगी।