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वित्तीय बजट 2025: आपकी जेब पर क्या होगा असर? आसान भाषा में समझे बजट की ABCD

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को लगातार आठवीं बार केंद्रीय बजट पेश करने जा रही हैं। बजट केवल सरकार की आय-व्यय योजना ही नहीं, बल्कि देश की आर्थिक दशा-दिशा तय करने वाला अहम दस्तावेज भी होता है। यह न सिर्फ अलग-अलग सेक्टर्स पर असर डालता है, बल्कि नागरिकों, उद्योगों और व्यापारियों की योजनाओं को भी प्रभावित करता है।

बजट क्या है? आसान भाषा में समझें
बजट शब्द की उत्पत्ति लैटिन के 'बोजते' (bougette) से हुई है, जिसका अर्थ चमड़े का थैला होता है। पुराने समय में व्यापार और सरकारी रिकॉर्ड इसी थैले में रखे जाते थे। ब्रिटेन में वित्त मंत्री जब संसद में आय-व्यय का लेखा-जोखा पेश करते थे, तो वे दस्तावेज लाल चमड़े के बैग में लाते थे, जिसे 'बजेटी' कहा जाता था। यहीं से 'बजट' शब्द प्रचलन में आया और दुनियाभर की सरकारों द्वारा अपनाया गया।

बजट से जुड़े अहम आर्थिक शब्द और उनके अर्थ
बजट भाषण में कई तकनीकी शब्द इस्तेमाल होते हैं, जिनका सही मतलब समझना जरूरी है। 

1. केंद्रीय बजट (Union Budget): भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत यह सरकार की अनुमानित आय और व्यय का वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement) होता है। इसमें सरकार यह बताती है कि किन योजनाओं और विभागों में कितना खर्च किया जाएगा।

2. बजट अनुमान (Budget Estimate): सरकार जब अगले वित्त वर्ष के लिए संभावित आमदनी और खर्च का अनुमान लगाती है, तो उसे बजट अनुमान कहते हैं। यह वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किया जाता है।

3. वित्त विधेयक (Finance Bill): इसमें नए करों को लागू करने या मौजूदा करों में बदलाव का प्रस्ताव शामिल होता है। संसद की मंजूरी के बाद ही यह लागू किया जाता है।

4. वित्तीय घाटा (Fiscal Deficit): जब सरकार का कुल खर्च उसकी कुल आमदनी से ज्यादा हो जाता है, तो उसे वित्तीय घाटा कहा जाता है। इसे पूरा करने के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ता है।

5. प्राथमिक घाटा (Primary Deficit): कुल वित्तीय घाटे में से ब्याज भुगतान घटाने के बाद जो शेष बचता है, उसे प्राथमिक घाटा कहते हैं।

6. राजस्व अधिशेष (Revenue Surplus): जब सरकार की राजस्व आय उसके राजस्व खर्च से अधिक होती है, तो इसे राजस्व अधिशेष कहा जाता है।

7. विनियोग विधेयक (Appropriation Bill): बजट लागू करने के लिए सरकार संसद से संचित निधि (Consolidated Fund) से धन निकालने की अनुमति लेती है, जिसके लिए यह विधेयक पेश किया जाता है।

8. पूंजीगत बजट (Capital Budget): इसमें बुनियादी ढांचे के विकास, सरकारी परियोजनाओं और लंबी अवधि के निवेश से जुड़े खर्चों का विवरण होता है।

9. संशोधित अनुमान (Revised Estimate): वित्त वर्ष के बीच में वास्तविक खर्च और अनुमानित खर्च के अंतर को ध्यान में रखते हुए संशोधित अनुमान तैयार किया जाता है।

10. सब्सिडी (Subsidy): सरकार द्वारा नागरिकों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता, जिससे जरूरी वस्तुएं सस्ती मिल सकें। जैसे—रसोई गैस पर सब्सिडी।

11. पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure): इन्फ्रास्ट्रक्चर, मशीनरी खरीद और सरकारी परियोजनाओं में किया गया निवेश।

12. चालू खाते का घाटा (Current Account Deficit): जब देश का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है, तो इसे चालू खाते का घाटा कहा जाता है।

13. सीमा शुल्क (Customs Duty): आयात-निर्यात पर लगने वाला टैक्स, जो सरकार की आमदनी का अहम स्रोत होता है।

14. काउंटरवेलिंग ड्यूटी (Countervailing Duty): विदेशों से सस्ते आयात की वजह से घरेलू उद्योगों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए लगाया जाने वाला अतिरिक्त कर।

15. संचित निधि (Consolidated Fund): सरकार की मुख्य निधि, जिसमें सभी करों, ऋणों और ब्याज की आमदनी जमा होती है।

16. आपात कोष (Contingency Fund): आकस्मिक परिस्थितियों में खर्च के लिए रखा गया सरकारी कोष।

17. प्रत्यक्ष कर (Direct Tax): लोगों और कंपनियों की आय पर लगने वाला कर, जैसे—इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स।

18. अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax): वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाला कर, जैसे—GST और सीमा शुल्क।

19. सकल घरेलू उत्पाद (GDP - Gross Domestic Product): देश में एक साल में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं की कुल आर्थिक कीमत।

20. सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP - Gross National Product): GDP में विदेशों से अर्जित आय को जोड़ने और देश में विदेशी कंपनियों की कमाई को घटाने के बाद का आंकड़ा।

21. वैट (VAT - Value Added Tax): वस्तुओं के निर्माण से बिक्री तक हर स्तर पर लगने वाला कर।

22. योजना व्यय (Planned Expenditure): विकास योजनाओं और सरकारी परियोजनाओं पर किया जाने वाला खर्च।

23. गैर योजना व्यय (Non-Planned Expenditure): ब्याज भुगतान, रक्षा खर्च, सब्सिडी और पेंशन जैसे अनिवार्य खर्च।

24. मौद्रिक नीति (Monetary Policy): भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा देश में मुद्रा प्रवाह और ब्याज दरों को नियंत्रित करने की नीति।

25. महंगाई (Inflation): वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी, जिससे पैसों की क्रय शक्ति घट जाती है।

26. वोट ऑन अकाउंट (Vote on Account): अगर आम चुनावों के कारण पूर्ण बजट पेश नहीं किया जा सकता, तो सरकार कुछ समय के लिए जरूरी खर्चों की मंजूरी संसद से लेती है।

बजट का असर: आम जनता और उद्योगों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
बजट सिर्फ सरकार की आमदनी और खर्च का हिसाब नहीं होता, बल्कि यह देश की आर्थिक नीतियों को भी दिशा देता है। नए करों, सब्सिडी, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स और सरकारी योजनाओं का सीधा असर आम नागरिकों और उद्योगों पर पड़ता है।