छत्तीसगढ़ : कांकेर-बीजापुर-नारायणपुर में आत्मसमर्पण की लहर, 2 करोड़ से अधिक के इनामी माओवादियों ने छोड़ा हिंसा का रास्ता
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा में कुल 67 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। इन सभी पर कुल मिलाकर 2 करोड़ 10 लाख रुपये से अधिक का इनाम घोषित था। यह आत्मसमर्पण सरकार द्वारा चलाए जा रहे पुनर्वास अभियानों की सफलता को दर्शाता है।
कांकेर में 13 इनामी नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
कांकेर जिले में मिलिट्री कंपनी नंबर-1 के कमांडर मंगलू उर्फ रूपेश सहित कुल 13 इनामी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। इनमें 5 महिलाएं और 8 पुरुष शामिल हैं। ये सभी नक्सली उत्तर बस्तर डिवीजन के रावघाट और परतापुर एरिया कमेटी एवं माड़ डिविजन में सक्रिय थे। इन पर कुल 62 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
बीजापुर में 25 माओवादियों ने छोड़ी हिंसा
बीजापुर जिले से मिली जानकारी के अनुसार, 25 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें एक 25 लाख का इनामी साउथ जोनल कमेटी मेंबर (SZCM) भी शामिल है। इनके साथ DVCM, ACM, LOS सदस्य, जनताना सरकार के पदाधिकारी जैसे ऊंचे रैंक के कैडर भी आत्मसमर्पण करने वालों में शामिल हैं। इन सभी पर कुल 1 करोड़ 15 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
नारायणपुर में 8 और दंतेवाड़ा में 15 नक्सलियों का आत्मसमर्पण
नारायणपुर जिले में 8 सक्रिय माओवादी सामने आए, जिन पर कुल 33 लाख रुपये का इनाम घोषित था। वहीं, दंतेवाड़ा जिले में सरकार द्वारा चलाए जा रहे 'लोन वर्राटू' और 'पूना मारगेम' अभियानों से प्रभावित होकर 5 इनामी माओवादी समेत 15 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। इन पर कुल 17 लाख रुपये का इनाम था।
'लोन वर्राटू' अभियान की बड़ी सफलता
अब तक 'लोन वर्राटू' अभियान के तहत कुल 1020 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिनमें 254 इनामी माओवादी शामिल हैं। इन आत्मसमर्पण करने वालों में 824 पुरुष और 196 महिला नक्सली हैं, जो दंतेवाड़ा के अलावा सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिलों से संबंधित हैं।
यह व्यापक आत्मसमर्पण सरकार की रणनीति, पुनर्वास नीति और समाज में लौटने की उम्मीद को मजबूती प्रदान करता है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि माओवादी संगठनों की पकड़ धीरे-धीरे कमजोर पड़ रही है और नक्सली हिंसा की राह छोड़कर शांति की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।







