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ज्ञानवापी : मंदिर के दो अन्य तहखाने खोलने की याचिका दायर, ASI सर्वे की भी मांग

ज्ञानवापी परिसर में व्यासजी के अलावा भी कई और तहखाने हैं। इसका खुलासा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने अपनी रिपोर्ट में किया है।

वाराणसी में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले की पक्षकार राखी सिंह ने जिला सत्र न्यायालय में कल नई याचिका दायर की है। राखी सिंह के अधिवक्ताओं द्वारा वाराणसी कोर्ट में याचिका दायर की गयी है। इस याचिका में ज्ञानवापी परिसर में बंद अन्य दो तहखानों को खोलने और उनके ASI सर्वे की मांग की गयी है। याचिका में बंद तहखानों का नक्शा भी लगाया गया है। अन्य गुप्त तहखाने जो तहखानों के अंदर हैं, उनका भी सर्वे करने की मांग की गई है। अपील में कहा गया है कि ज्ञानवापी का पूरा सच उजागर होना चाहिए, जिससे लोगों को सच्चाई का पता लग सके। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए सुनवाई के लिए आज की तारीख सुनिश्चित की है।

एएसआई सर्वे में और तहखाने होने का हुआ था खुलासा
ज्ञानवापी परिसर में व्यासजी के अलावा भी कई और तहखाने हैं। इसका खुलासा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने अपनी रिपोर्ट में किया है। राखी सिंह ने कहा कि ज्ञानवापी में बंद तहखानों को प्रशासन की निगरानी में खोला जाए और उनका एएसआई सर्वे किया जाए। परिसर में दो तहखाने बंद हैं, उनके अंदर भी तहखाना हो सकता है। इन तहखानों को पत्थर से बंद किया गया है, या कह सकते हैं कि पत्थर के दरवाजे बनाकर सील कर दिया गया है। इसका मलबा हटाकर सर्वे किया जाए तो उनकी सच्चाई भी बाहर आएगी।

75% सच्चाई अभी भी तहखानों में कैद
भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान केस के संरक्षक और विश्व वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह विसेन ने बताया कि तहखानों में कई राज छिपे हैं। अभी तक जो भी सामने आया है वह आदि विश्वेश्वर मंदिर के रहस्य का केवल 25% ही है। बाकी तो अभी भी रहस्यात्मक बना हुआ है। -जितेंद्र सिंह विसेन ने कहा कि तहखानों के अंदर के रास्तों का पूरा मैप है। आज जहां तहखाने में पूजा हो रही है, वहां से आगे रास्ता जाता है। 2 तहखानों को पार करने के बाद एक रास्त है, जहां से मंदिर की पूरी सच्चाई सामने आने के आसार हैं। उन्होंने कहा कि साल 2018 से इसकी तैयारी कर रहा था। 

विष्णु जैन ने बचे 8 तहखानों के सर्वे की याचिका दी है
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने हाईकोर्ट में ज्ञानवापी परिसर के नीचे 8 तहखानों का भी साइंटिफिक सर्वे कराने की अपील की है। साथ ही वजूखाने और शिवलिंग का साइंटफिक सर्वे कराने वाले मुदकमे में इसकी भी मांग की गई है।

बताते चलें कि, ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से हुए सर्वे में परिसर में छह तहखाने खुले पाए गए। यहां एएसआई की टीम भी पहुंची थी। यहां टीम ने चार और तहखानों की पुष्टि की थी। सर्वे रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि दक्षिण में जो तहखाने हैं, उनमें हिन्दू धर्म से जुड़े प्रतीक चिन्ह भी मिले हैं। ऐसे ही उत्तर में भी तहखाना मौजूद है, जो दिखाई नहीं दे रहा है। यदि उत्तर का हिस्सा खोला जाएगा तो उन तहखानों की जानकारी सामने आ सकेगी।

ज्ञानवापी में मंदिर होने के प्रमाण 

-परिसर में मौजूद रहे विशाल मंदिर में बड़ा केंद्रीय कक्ष था। इसका प्रवेश द्वार पश्चिम से था, जिसे पत्थर की चिनाई से बंद किया है।

-केंद्रीय कक्ष के मुख्य प्रवेश द्वार को जानवरों व पक्षियों की नक्काशी और एक सजावटी तोरण से सजाया गया था।

-प्रवेश द्वार के ललाट बिंब पर बनी नक्काशी को काटा गया है। कुछ हिस्सा पत्थर, ईंट और गारे से ढक दिया गया है।

-तहखाने में उत्तर, दक्षिण और पश्चिम के तीन कक्षों के अवशेष को भी देखा जा सकता है, पर कक्ष के अवशेष पूर्व दिशा और उससे भी आगे की ओर हैं। इसका विस्तार सुनिश्चित नहीं हो सका, क्योंकि पूर्व का क्षेत्र पत्थर के फर्श से ढका हुआ है। ज्ञानवापी परिसर में मौजूद मूर्ति के अवशेष

-इमारत में पहले से मौजूद संरचना पर उकेरी गई जानवरों की आकृतियां थीं। 17वीं सदी की मस्जिद के लिए ये ठीक नहीं थे, इसलिए इन्हें हटा दिया गया, पर अवशेष हैं।

-मस्जिद के विस्तार व स्तंभयुक्त बरामदे के निर्माण के लिए पहले से मौजूद मंदिर के कुछ हिस्सों जैसे खंभे, भित्तिस्तंभ आदि का उपयोग बहुत कम किया है, जिनका उपयोग किया है, उन्हें जरूरत के अनुसार बदला है।

-इमारत की पश्चिमी दीवार (पहले से मौजूद रहे मंदिर का शेष भाग) पत्थरों से बनी है और पूरी तरह सुसज्जित की गई है।

-उत्तर और दक्षिण हॉल के मेहराबदार प्रवेश द्वारों को रोक दिया गया है। उन्हें हॉल में बदल दिया गया है। सर्वे के दौरान मिला शिलालेख, जो संस्कृत भाषा से मिलता-जुलता है।

-उत्तर दिशा के प्रवेश द्वार पर छत की ओर जाने के लिए बनी सीढ़ियां आज भी इस्तेमाल में हैं, जबकि छत की ओर जाने वाले दक्षिण प्रवेश द्वार को पत्थर से बंद किया गया है।

-रिपोर्ट कहती है कि किसी भी इमारत की कला और वास्तुकला न केवल उसकी तारीख, बल्कि उसके स्वभाव का भी संकेत देती है। केंद्रीय कक्ष का कर्ण-रथ और प्रति-रथ पश्चिम दिशा के दोनों ओर दिखाई देता है।

-सबसे महत्वपूर्ण चिह्न ‘स्वस्तिक’ है। एक अन्य बड़ा प्रतीक शिव का ‘त्रिशूल’ है।

-जीपीआर में दिखाया गया कि दक्षिणी तहखाने का दरवाजा एक दीवार से ढका हुआ

जीपीआर सर्वे की रिपोर्ट में बताया गया कि चबूतरे के नीचे प्लेटफार्म क्षेत्र में तहखानों की छत है। इसका ऊपरी हिस्सा खुला है, मगर नीचे की परत मलबे से भरी है। पाया गया कि इसमें मलबा भरकर इसे बंद किया गया है। मंच के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में कई खोखले या आंशिक रूप से भरे हुए तीन मीटर चौड़े तहखाने हैं। इनमें नौ वर्गमीटर आकार के कमरे हैं, जिनकी दीवारें एक मीटर चौड़ी है। दक्षिणी दीवार की ओर खुले स्थान हैं, जिन्हें अब सील कर दिया गया है, क्योंकि जीपीआर सिग्नलों में 1-2 मीटर चौड़े अलग-अलग पैच देखे गए हैं। तहखाने के उत्तर की ओर खुले कार्यात्मक दरवाजे हैं। पूर्वी हिस्से में 2 मीटर चौड़ाई के 3 से 4 तहखाने हैं। पूर्वी दीवार की मोटाई अलग-अलग है। गलियारे क्षेत्र से सटे, मंच के पश्चिमी किनारे पर 3 से 4 मीटर चौड़े तहखाने की दो पंक्तियां देखी गईं हैं। तहखाने के भीतर छिपे हुए कुएं दो मीटर चौड़ै है। दक्षिणी तरफ एक अतिरिक्त कुएं के निशान मिले हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि तहखाने की दीवारों की जीपीआर स्कैनिंग से छिपे हुए कुएं और गलियारे के अस्तित्व का भी पता चलता है। जीपीआर में दिखाया गया कि दक्षिणी तहखाने का दरवाजा एक दीवार से ढका हुआ है।