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अंतरिक्ष में भारत की दूसरी बड़ी छलांग, ISRO ने दो सैटेलाइट्स की सफल डॉकिंग कर रचा इतिहास

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर अंतरिक्ष में तकनीकी कौशल का अद्भुत प्रदर्शन करते हुए दो उपग्रहों की सफल डॉकिंग की है। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X के जरिए इस उपलब्धि की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि इस दोबारा सफल डॉकिंग के बाद अब अगले 15 दिनों में कई वैज्ञानिक परीक्षण और प्रयोग किए जाएंगे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह मिशन भारत की आत्मनिर्भर अंतरिक्ष तकनीक का सशक्त प्रतीक बन चुका है। बता दें कि इस ऐतिहासिक मिशन की शुरुआत 30 दिसंबर 2024 को हुई थी, जब ISRO ने PSLV-C60 / SPADEX मिशन का सफल प्रक्षेपण किया था।

अंतरिक्ष में भारत की दूसरी बड़ी छलांग, ISRO ने दो सैटेलाइट्स की सफल डॉकिंग कर रचा इतिहास

इस मिशन में पहली बार 16 जनवरी को सुबह 6:20 बजे दोनों उपग्रहों को अंतरिक्ष में जोड़ा गया था। इसके बाद 13 मार्च को सुबह 9:20 बजे उन्हें अलग किया गया, जिसे ‘अनडॉकिंग’ कहा जाता है।

16 जनवरी को भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया, जिन्होंने अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक जोड़ा है। अब तक केवल रूस, अमेरिका और चीन ही इस तकनीक में महारत हासिल कर पाए थे। भारत चौथा देश बना जिसने यह उपलब्धि हासिल की।

अंतरिक्ष में भारत की दूसरी बड़ी छलांग, ISRO ने दो सैटेलाइट्स की सफल डॉकिंग कर रचा इतिहास

अंतरिक्ष में भारत की दूसरी बड़ी छलांग, ISRO ने दो सैटेलाइट्स की सफल डॉकिंग कर रचा इतिहास

अंतरिक्ष में भारत की दूसरी बड़ी छलांग, ISRO ने दो सैटेलाइट्स की सफल डॉकिंग कर रचा इतिहास

इस डॉकिंग मिशन की सफलता भविष्य के बड़े अंतरिक्ष अभियानों के लिए आधार तैयार करती है। चंद्रयान-4, गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन जैसे मिशनों की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। चंद्रयान-4 के माध्यम से चंद्रमा की सतह से सैंपल लाकर पृथ्वी पर लाने की योजना है, वहीं गगनयान मिशन के तहत भारतीय मानव अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

गौरतलब है कि यह डॉकिंग पहले 7 जनवरी को होनी थी, लेकिन तकनीकी कारणों से इसे टाल दिया गया। 9 जनवरी को भी तकनीकी बाधाओं के चलते प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। 12 जनवरी को उपग्रहों को 3 मीटर की दूरी तक लाया गया, पर फिर से सुरक्षित दूरी पर ले जाकर इंतजार किया गया। अंततः 16 जनवरी को यह ऐतिहासिक डॉकिंग संभव हो पाई।