भारतीय नौसेना में शामिल हुआ स्वदेशी तकनीक से निर्मित डाइविंग सपोर्ट पोत ‘निस्तार’
भारतीय नौसेना को आज एक और स्वदेशी ताकत प्राप्त हुई, जब विशाखापत्तनम स्थित नौसेना डॉकयार्ड में भारत का पहला पूर्णतः देश में डिज़ाइन और निर्मित डाइविंग सपोर्ट वेसल 'निस्तार' को नौसेना में शामिल किया गया। इस ऐतिहासिक मौके पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ विशेष रूप से उपस्थित रहे।
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता ने सोशल मीडिया मंच X पर जानकारी साझा करते हुए लिखा, “निस्तार, भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित डाइविंग सपोर्ट वेसल, 18 जुलाई 2025 को रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ की उपस्थिति में भारतीय नौसेना का हिस्सा बना।”
#Nistar - India's first indigenously designed & constructed Diving Support Vessel, to be commissioned into the #IndianNavy today, #18Jul 25, in presence of Hon’ble Raksha Rajya Mantri, Shri @SethSanjayMP.@SpokespersonMoD @DefProdnIndia@IN_HQENCpic.twitter.com/lUpw8AAYyN
— SpokespersonNavy (@indiannavy) July 18, 2025
गौरतलब है कि इस पोत को 8 जुलाई 2025 को विशाखापत्तनम में हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा भारतीय नौसेना को सौंपा गया था। इसे भारतीय नौवहन रजिस्टर (IRS) के निर्धारित मानकों के अनुरूप डिज़ाइन और निर्मित किया गया है।
सरकारी बयान के अनुसार, ‘निस्तार’ का निर्माण ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य की दिशा में एक सशक्त कदम है, जो रक्षा निर्माण में स्वदेशी क्षमताओं और राष्ट्र निर्माण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस परियोजना में देश के लगभग 120 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) ने योगदान दिया है, और इसमें 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है।
The commissioning ceremony of #NISTAR, the @indiannavy's first indigenously designed and constructed Diving Support Vessel, is being presided over by Raksha Rajya Mantri Shri @SanjaySethin the presence of #CNS Admiral Dinesh K Tripathi today at Visakhapatnam. Built by Hindustan… pic.twitter.com/JReRdkoFUI
— Ministry of Defence, Government of India (@SpokespersonMoD) July 18, 2025
'निस्तार' को गहरे समुद्र में विशेष गोताखोरी और बचाव अभियानों के लिए तैयार किया गया है — एक क्षमता जो दुनिया की गिनी-चुनी नौसेनाओं के पास ही है। इसके नाम की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘निस्तार’ से हुई है, जिसका अर्थ है मुक्ति, राहत या उद्धार।
यह अत्याधुनिक पोत 118 मीटर लंबा है और लगभग 10,000 टन वजनी है। इसमें अत्याधुनिक डाइविंग तकनीकों से युक्त उपकरण लगे हैं, जो 300 मीटर की गहराई तक सैचुरेशन डाइविंग में सक्षम हैं। इसके अतिरिक्त, पोत में 75 मीटर तक की गहराई में साइड डाइविंग ऑपरेशन के लिए एक समर्पित स्टेज भी है।
‘निस्तार’ जलमग्न बचाव पोत (DSRV) के लिए मदर शिप की भूमिका निभा सकता है, जिससे जल के भीतर पनडुब्बी संकट की स्थिति में नौसैनिकों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सकेगा। यह जहाज 1000 मीटर तक की गहराई में दूर से संचालित वाहनों (ROV) की मदद से गोताखोरी निगरानी और बचाव कार्य भी कर सकता है।
इससे पहले ‘एक्स-निस्तार’ नामक एक पनडुब्बी बचाव पोत को भारतीय नौसेना ने 1969 में पूर्व सोवियत संघ से प्राप्त किया था, जिसे 1971 में नौसेना में शामिल किया गया था। दो दशकों तक सेवा देने वाले उस पोत ने पनडुब्बी बचाव और गोताखोरी अभियानों में अहम भूमिका निभाई थी। अब, नए ‘निस्तार’ के आगमन से उसकी विरासत को आगे बढ़ाया गया है।
इस आधुनिक पोत का आदर्श वाक्य है — “सुरक्षित यथार्थ शौर्यम”, जिसका अर्थ है “सटीकता और साहस के साथ उद्धार” — जो इसकी भूमिका और उद्देश्य को पूरी तरह परिभाषित करता है।







