11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष: क्रियायोग साधना नहीं, जीवन जीने की कला है
Jun 20, 2025, 23:10 IST

अगर किसी युवा से योग अपनाने के लिए कहा जाए, तो वह अक्सर पूछता है—"मेरे लिए योग क्यों जरूरी है?" इसका सही जवाब देने के लिए हमें खुद योग के महत्व को समझना चाहिए। बीते एक दशक से भारत ने हर साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से योग के शाश्वत महत्व का संदेश पूरी दुनिया को दिया है।
योग का असली अर्थ इसकी गहराई और व्यक्तिगत अनुभव में छिपा है। योग-ध्यान की वैज्ञानिक विधियों का नियमित अभ्यास हमें ईश्वर से एकता की ओर ले जाता है, जिसे सभी धर्मों ने स्वीकारा है।
क्रियायोग एक ऐसी आध्यात्मिक पद्धति है, जो साधक को जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य तक पहुंचने में समर्थ बनाती है। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दो बार क्रियायोग का महत्व बताया है। उन्नीसवीं सदी में लाहिड़ी महाशय ने अपने गुरु महावतार बाबाजी के आशीर्वाद से इस विज्ञान को पुनः खोजा। फिर स्वामी श्रीयुक्तेश्वर गिरि ने अपने शिष्य परमहंस योगानंद को क्रियायोग का गहन ज्ञान दिया।
परमहंस योगानंद जी ने क्रियायोग को पश्चिमी देशों तक पहुंचाया। आज, लाखों लोग उनकी वैज्ञानिक योग-ध्यान पद्धतियों का अभ्यास करते हैं। "योगी कथामृत" में उन्होंने लिखा है कि सामान्य व्यक्ति की प्राणशक्ति बाहरी दुनिया में व्यय हो जाती है, लेकिन क्रियायोग के अभ्यास से यह ऊर्जा भीतर की ओर प्रवाहित होती है और मेरुदंड की सूक्ष्म शक्तियों से एकाकार होकर शरीर और मस्तिष्क को नई शक्ति देती है।

नियमित क्रियायोग से साधक अपने रक्त को शुद्ध कर उसे ऑक्सीजन से भर सकता है, जिससे मस्तिष्क और मेरुदंड को नया जीवन मिलता है और शरीर की कोशिकाओं का क्षय रुकता है। इसके शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ अनगिनत हैं, और यह विधि जीवन को संपूर्णता प्रदान करती है।
क्रियायोग एक सार्वभौमिक पद्धति है, जिसे कोई भी व्यक्ति अपनाकर अपनी साधारण दिनचर्या से ऊपर उठ सकता है। 1917 में योगानंद जी ने योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (YSS) की स्थापना की, जो भारत, नेपाल और श्रीलंका में क्रियायोग का प्रचार करती है। उनकी सहयोगी संस्था, सेल्फ-रियलाइजेशन फेलोशिप (SRF), पूरी दुनिया में यही कार्य कर रही है।
हम जैसे आम लोगों के लिए योग का असली लाभ तभी मिलेगा जब हम निष्ठा और नियमितता से इन वैज्ञानिक विधियों का अभ्यास करेंगे। यही अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का वास्तविक संदेश है—योग को अपनाएं और संतुष्ट, समृद्ध जीवन की ओर बढ़ें।