ISRO के 100वें मिशन में आयी तकनीकी बाधा, सही ऑर्बिट में नहीं पहुंचा NVS-02 सैटेलाइट

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को उसके 100वें सैटेलाइट मिशन NVS-02 में तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। 29 जनवरी को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किए गए इस सैटेलाइट को अपनी निर्धारित कक्षा में स्थापित करने में परेशानी आई। इसका कारण ऑक्सीडाइजर एंट्री वॉल्व का न खुलना बताया गया है, जिससे थ्रस्टर्स फायर नहीं हो सके।
अभी भी एलिप्टिकल ऑर्बिट में मौजूद है सैटेलाइट
ISRO के अनुसार, सैटेलाइट का सिस्टम ठीक है, लेकिन यह अभी भी एलिप्टिकल ऑर्बिट में ही बना हुआ है। इसे जियो-स्टेशनरी सर्कुलर ऑर्बिट में स्थापित किया जाना था, लेकिन लिक्विड इंजन में तकनीकी खराबी के चलते यह संभव नहीं हो सका। फिलहाल इस पर काम जारी है और नेविगेशन के लिए वैकल्पिक रणनीति पर विचार किया जा रहा है।

2250 किलो वजन और 12 साल का जीवनकाल
NVS-02 सैटेलाइट का वजन 2250 किलोग्राम है और यह 3 किलोवाट तक की पावर हैंडलिंग कर सकता है। इसमें स्वदेशी और आयातित रुबिडियम एटॉमिक घड़ियां लगी हैं, जो इसे सटीक समय अनुमान में सक्षम बनाती हैं। इस सैटेलाइट का जीवनकाल लगभग 12 साल है।
NavIC को मजबूत करेगा NVS-02
यह सैटेलाइट भारत के स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम NavIC का हिस्सा है, जिसे देश में GPS जैसी सुविधा को सशक्त करने के लिए विकसित किया गया है। इसकी मदद से कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से अरुणाचल प्रदेश तक के क्षेत्रों में बेहतर नेविगेशन सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अलावा, यह समुद्र तट से 1500 किमी दूर तक भी काम करेगा, जिससे हवाई, समुद्री और सड़क यातायात को बेहतर दिशा-निर्देश मिलेंगे।
NavIC: भारत का अपना GPS सिस्टम
NavIC (Navigation with Indian Constellation) भारत का खुद का रीजनल नेविगेशन सिस्टम है, जो सटीक लोकेशन, गति और समय की जानकारी देने में सक्षम है। यह 7 सैटेलाइट्स के समूह पर आधारित है और L5 व S बैंड फ्रीक्वेंसी पर सिग्नल भेजता है। NavIC की सटीकता 5 मीटर तक है, जबकि अमेरिकी GPS की सटीकता 20-30 मीटर तक सीमित रहती है।
गौरतलब है कि ISRO की स्थापना 15 अगस्त 1969 को हुई थी और तब से अब तक यह कई सफल मिशन पूरे कर चुका है। इस बार 100वें मिशन में तकनीकी बाधा आने के बावजूद एजेंसी अपने प्रयासों में जुटी हुई है। नए अध्यक्ष वी नारायणन के कार्यकाल का यह पहला मिशन है, और अब वैज्ञानिक टीम इस सैटेलाइट को सही ऑर्बिट में स्थापित करने के लिए नई रणनीति पर काम कर रही है।