अगले महीने लॉन्च होगा NASA-ISRO का Radar सैटेलाइट, जानें क्या है इसकी खासियत

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की आगामी योजनाओं की जानकारी दी। इंफाल स्थित सेंट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ फिशरीज, अगरतला में आयोजित 5वें दीक्षांत समारोह में उन्होंने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं।
NASA-ISRO की साझेदारी से रडार सैटेलाइट तैयार
डॉ. नारायणन ने बताया कि ISRO और अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA द्वारा मिलकर विकसित किया गया एक रडार सैटेलाइट अगले महीने लॉन्च किया जाएगा। इस अत्याधुनिक उपग्रह में दो पेलोड होंगे – एक भारतीय और दूसरा अमेरिकी। यह माइक्रोवेव आधारित रिमोट सेंसिंग उपग्रह पृथ्वी की सतह की सूक्ष्म जानकारी जुटाने में सहायक होगा।

RA-SAT की लॉन्चिंग 18 मई को
ISRO प्रमुख ने यह भी बताया कि 18 मई को 'RA-SAT' नाम का एक और अहम सैटेलाइट मिशन लॉन्च किया जाएगा। यह C-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार से लैस होगा और इसे PSLV रॉकेट के ज़रिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
‘गगनयान’ मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्री की तैयारी
भारत के महत्वाकांक्षी मानव मिशन ‘गगनयान’ की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए अगले महीने एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) भेजा जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में अनुभव हासिल करना है, जिससे ‘गगनयान’ के लिए आवश्यक डेटा और प्रशिक्षण जुटाया जा सके।
G20 देशों के लिए साझा सैटेलाइट मिशन
डॉ. नारायणन ने यह भी खुलासा किया कि ISRO एक विशेष सैटेलाइट मिशन पर कार्य कर रहा है जो जलवायु परिवर्तन की निगरानी करेगा और G20 देशों के लिए समर्पित होगा। इस उपग्रह के 50 प्रतिशत पेलोड का निर्माण भारत करेगा, जबकि शेष सहयोगी देशों के साथ मिलकर तैयार किया जाएगा। भारत इस सैटेलाइट को अपने रॉकेट से लॉन्च करेगा और इसका डेटा सभी G20 सदस्य देशों को उपलब्ध कराया जाएगा।
भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में वैश्विक सहयोग का बन रहा है केंद्र
इन घोषणाओं के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि ISRO केवल राष्ट्रीय जरूरतों के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक साझेदारी और सहयोग को भी प्राथमिकता दे रहा है। चाहे वह NASA के साथ मिशन हो, ‘गगनयान’ के माध्यम से अंतरिक्ष यात्रा की तैयारी हो या फिर G20 के लिए जलवायु सैटेलाइट—भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है।