नई शिक्षा नीति को मिली केन्द्रीय कैबिनेट की मंजूरी
Dec 23, 2024, 14:08 IST

केंद्रीय सरकार ने 36 साल बाद देश में नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2023) लागू कर दी है। कैबिनेट की स्वीकृति के बाद यह नई नीति शिक्षा क्षेत्र में व्यापक बदलाव लेकर आई है। 34 वर्षों के अंतराल के बाद यह शिक्षा नीति छात्रों और शिक्षकों के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगी।
नई शिक्षा नीति: 5+3+3+4 फॉर्मूले पर आधारित
नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 के मॉडल पर बांटा गया है। इसका उद्देश्य शिक्षा को अधिक सुदृढ़ और छात्रों के विकास के अनुकूल बनाना है।
पांच साल का फंडामेंटल स्टेज:
1. नर्सरी - 4 वर्ष
2. जूनियर केजी - 5 वर्ष
3. सीनियर केजी - 6 वर्ष
4. कक्षा 1 - 7 वर्ष
5. कक्षा 2 - 8 वर्ष
तीन साल का प्रिपरेटरी स्टेज:
6. कक्षा 3 - 9 वर्ष
7. कक्षा 4 - 10 वर्ष
8. कक्षा 5 - 11 वर्ष
तीन साल का मिडल स्टेज:
9. कक्षा 6 - 12 वर्ष
10. कक्षा 7 - 13 वर्ष
11. कक्षा 8 - 14 वर्ष
चार साल का सेकेंडरी स्टेज:

12. कक्षा 9 - 15 वर्ष
13. कक्षा 10 (SSC) - 16 वर्ष
14. कक्षा 11 (FYJC) - 17 वर्ष
15. कक्षा 12 (SYJC) - 18 वर्ष
नई शिक्षा नीति 2023 की खास बातें
नई शिक्षा नीति के तहत कई बड़े बदलाव किए गए हैं, जो शिक्षा प्रणाली को आधुनिक और व्यावहारिक बनाने के उद्देश्य से लागू किए गए हैं। अब केवल 12वीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा होगी, जबकि 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को समाप्त कर दिया गया है। इसके अलावा, एमफिल पाठ्यक्रम भी बंद कर दिया गया है। कॉलेज डिग्री के लिए 3 और 4 साल के विकल्प दिए गए हैं। 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए होगी, जो उच्च शिक्षा नहीं लेना चाहते, जबकि 4 साल की डिग्री करने वाले छात्र केवल 1 साल में MA कर सकेंगे।
कक्षा 5 तक छात्रों को उनकी मातृभाषा, क्षेत्रीय भाषा या राष्ट्रभाषा में शिक्षा दी जाएगी, जबकि अंग्रेजी को एक अतिरिक्त विषय के रूप में पढ़ाया जाएगा। कक्षा 9 से 12 तक सेमेस्टर आधारित परीक्षा प्रणाली लागू की जाएगी। डिग्री के दौरान छात्र कोर्स बदलने की सुविधा भी प्राप्त कर सकेंगे, जिससे वह सीमित समय के लिए दूसरे कोर्स में प्रवेश ले सकेगा। इसके साथ ही, एक साल की पढ़ाई पूरी करने पर सर्टिफिकेट, दो साल पर डिप्लोमा, तीन साल पर डिग्री और चार साल की पढ़ाई पर रिसर्च-आधारित डिग्री का प्रावधान किया गया है। MA पूरा करने के बाद छात्र अब सीधे PhD में प्रवेश ले सकेंगे।
हायर एजुकेशन में भी व्यापक सुधार किए गए हैं। शैक्षिक, प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता को बढ़ावा देने के लिए ग्रेडेड ऑटोनॉमी लागू की गई है। क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स और वर्चुअल लैब्स विकसित किए जाएंगे। इसके अलावा, एक राष्ट्रीय शैक्षिक विज्ञान मंच (NETF) की स्थापना की जाएगी। सरकारी, निजी और डीम्ड विश्वविद्यालयों के लिए समान नियम बनाए गए हैं, जिससे शिक्षा के स्तर में एकरूपता आएगी। ये बदलाव छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने और उन्हें भविष्य के लिए बेहतर तरीके से तैयार करने के उद्देश्य से किए गए हैं।