Movie prime

केंद्र सरकार ने सेना को दे दिया 'फ्री हैंड', इन आंकड़ों से समझिये कितना आयेगा भारत-पाक युद्ध का खर्च

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर है। इस हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक अहम सुरक्षा बैठक बुलाई और उसमें आतंकवाद को जड़ से मिटाने का संकल्प लिया। बैठक में पीएम मोदी ने साफ संकेत दिया कि अब आतंकवाद के खिलाफ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। भारतीय सेना को कार्रवाई के लिए फ्री हैंड दे दिया गया है—वो कब, कैसे और कहां वार करेगी, इसका फैसला खुद सेना करेगी।

अगर हालात और बिगड़ते हैं और भारत-पाकिस्तान के बीच पूर्ण युद्ध छिड़ता है, तो इसकी आर्थिक कीमत बेहद भारी हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी जंग में देश को कई लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। हालांकि सटीक आंकलन कर पाना मुश्किल है क्योंकि युद्ध की लागत युद्ध की अवधि, तीव्रता और विस्तार पर निर्भर करती है।

कारगिल युद्ध से क्या सीख मिली थी?
1999 के कारगिल युद्ध का खर्च आज भी एक बड़ा सबक देता है। विभिन्न स्रोतों के अनुसार, उस समय भारत ने इस सीमित युद्ध में 5,000 से 10,000 करोड़ रुपये तक खर्च किए थे। इसमें सैन्य कार्रवाई, हथियारों की खपत, लॉजिस्टिक्स, जवानों का वेतन और चिकित्सा सुविधाएं शामिल थीं। सिर्फ वायुसेना के अभियानों पर ही लगभग 2,000 करोड़ रुपये का खर्च आया था। रोजाना का सैन्य खर्च 10 से 15 करोड़ रुपये के बीच था।

अब जंग की कीमत क्यों होगी कहीं ज़्यादा?
वर्तमान समय में यदि युद्ध होता है, तो उसकी लागत कई गुना ज्यादा होगी और इसके पीछे कई वजहें हैं:

1. आधुनिक सैन्य उपकरण: अब सेना के पास अत्याधुनिक हथियार हैं जिनकी कीमत बहुत अधिक है।

2. विस्तारित युद्ध क्षेत्र: कारगिल जैसी सीमित लड़ाई के उलट, अब हवाई, समुद्री और थल तीनों मोर्चों पर युद्ध हो सकता है, जिससे लागत कई गुना बढ़ जाएगी।

3. लंबी अवधि: कारगिल युद्ध लगभग ढाई महीने चला था। एक व्यापक युद्ध इससे भी लंबा हो सकता है, जिससे रोजाना और कुल खर्च दोनों बढ़ेंगे।

अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है करारा असर
युद्ध सिर्फ सेना का मामला नहीं होता, इसका गहरा प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। उत्पादन घट सकता है, व्यापार बाधित हो सकता है, महंगाई बढ़ सकती है और निवेशकों का भरोसा डगमगा सकता है। इसके साथ ही युद्ध में होने वाली जानमाल की क्षति, नागरिकों और सैनिकों की देखरेख पर आने वाला खर्च भी काफी अधिक होता है, जिसकी गणना करना लगभग असंभव है।

नवीनतम अनुमान क्या कहते हैं?
अप्रैल 2025 में सामने आए एक विश्लेषण के मुताबिक, अगर भारत और पाकिस्तान के बीच चार सप्ताह तक पारंपरिक युद्ध होता है, तो भारत को करीब 750 अरब डॉलर (62 लाख करोड़ रुपये) तक का नुकसान झेलना पड़ सकता है। यह आंकड़ा सिर्फ सैन्य खर्च नहीं, बल्कि युद्ध के कारण पूरे आर्थिक तंत्र को हुए नुकसान को दर्शाता है। वहीं, एक अन्य अध्ययन के मुताबिक 42 दिनों के सीमित युद्ध में भी भारत को करीब 49,000 करोड़ रुपये तक का खर्च उठाना पड़ सकता है।