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जो लोग ख़ुद को मुस्लिमों के रहनुमा बताते हैं वे सिर्फ हिंदू-मुस्लिम को एक वोट बैंक की तरह देखते हैं : विजेन्द्र गुप्ता

दिल्ली में फिरोजशाह रोड स्थित पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के बाहर दिल्ली भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने जोरदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन आम आदमी पार्टी के विधायक नरेश यादव को कुरान की बेअदबी के मामले में दोषी करार दिए जाने और इस पर इंडी गठबंधन तथा अरविंद केजरीवाल की चुप्पी के विरोध में हुआ।
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष अनीस अब्बासी ने किया। कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा, नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता, भाजपा नेता सरदार अरविंदर सिंह लवली, वरिष्ठ नेता आतिफ रशीद, और अन्य पार्टी पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि 2016 में हुई कुरान की बेअदबी के मामले में पंजाब की मलेरकोटला अदालत ने नरेश यादव को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा और 11,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके बावजूद केजरीवाल और उनके दल के नेता चुप्पी साधे हुए हैं। सचदेवा ने सवाल उठाया कि अगर भाजपा का कोई नेता दोषी पाया जाता, तो विपक्ष इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर उठाता।
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी खुद को मुसलमानों का रहनुमा बताती है, लेकिन इस मामले में उनकी चुप्पी ने उनकी असलियत उजागर कर दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल ने महंगे वकीलों के सहारे नरेश यादव को बचाने का प्रयास किया।
सरदार अरविंद सिंह लवली ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने मुस्लिम समाज को केवल वोट बैंक समझा है। दिल्ली के मुस्लिम समाज को आगामी चुनावों में इसका जवाब देना चाहिए।
अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष अनीस अब्बासी ने कहा कि जब तक नरेश यादव को आम आदमी पार्टी से निष्कासित नहीं किया जाता, तब तक विरोध जारी रहेगा। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली का मुस्लिम समाज आगामी चुनाव में एकजुट होकर आप सरकार को सबक सिखाएगा।
आतिफ रशीद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास नीति का हवाला देते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी का यह रवैया उनके दोहरे चरित्र को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान भाजपा के लिए सर्वोपरि है।
भाजपा नेताओं ने केजरीवाल से नरेश यादव को तुरंत विधानसभा और पार्टी से बर्खास्त करने की मांग की। उनका कहना है कि यह विरोध राजनीति से अधिक मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं के सम्मान की लड़ाई है।