केदारनाथ के कपाट खुलते ही उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, यमुनोत्री-गंगोत्री में श्रद्धालुओं की संख्या 46 हजार पार, चारधाम यात्रा 2025 बना सकती है नए रिकॉर्ड

उत्तराखंड की चारधाम यात्रा 2025 को लेकर श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। केदारनाथ धाम के कपाट खुलते ही पहले ही दिन 30,000 से ज्यादा भक्तों ने बाबा केदार के दर्शन किए, जिससे साफ झलक रहा है कि इस बार यात्रा सारे पुराने आंकड़े पार कर सकती है।
यात्रा की शुरुआत में ही केदारनाथ धाम में 30,154 श्रद्धालु पहुंचे। मंदिर प्रांगण ‘बम-बम भोले’ और ‘जय बाबा केदार’ के जयकारों से गूंज उठा। वहीं, यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। यमुनोत्री में अब तक 29,534 और गंगोत्री में 17,362 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। यानी इन दो धामों में अब तक कुल 46,896 लोग आ चुके हैं।

यमुनोत्री धाम के कपाट 30 अप्रैल को खोले गए थे और उसी दिन से लेकर अब तक हजारों लोग मां यमुना के दर्शन के लिए पहुंच चुके हैं। 2 मई को अकेले 7,112 श्रद्धालुओं ने यमुनोत्री में हाजिरी दी, जिनमें 3,847 पुरुष, 3,085 महिलाएं और 180 बच्चे शामिल थे। इसी तरह, गंगोत्री धाम में 2 मई को 7,183 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जिनमें 4,008 पुरुष, 3,150 महिलाएं और 25 बच्चे शामिल थे।
अब सभी की नजर बदरीनाथ धाम पर टिकी है, जिसके कपाट 4 मई को खोले जाएंगे। इसके बाद वहां भी श्रद्धालुओं की संख्या में बड़ा इजाफा देखा जा सकता है। वहीं, सिखों के पावन स्थल हेमकुंड साहिब के कपाट 25 मई को खुलेंगे।
सरकार के लिए इस बार यात्रा के दौरान भीड़ और यातायात को नियंत्रित करना बड़ी चुनौती बन सकती है। हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून जैसे शहरों में श्रद्धालुओं की बाढ़ सी आ गई है। होटल और धर्मशालाएं लगभग फुल हो चुकी हैं। ऐसे में भीड़ प्रबंधन और ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर सरकार की तैयारियों की असली परीक्षा होने वाली है।
एक और रोचक पहलू यह है कि जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमलों के कारण कई पर्यटक अब उत्तराखंड और हिमाचल का रुख कर रहे हैं। इसका असर सीधे तौर पर चारधाम यात्रा पर पड़ता दिख रहा है। इसके अलावा, गर्मियों की छुट्टियों और बढ़ते तापमान के चलते उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों पर भीड़ और बढ़ने की संभावना है।
इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए साफ है कि इस बार की चारधाम यात्रा न सिर्फ श्रद्धा की अभिव्यक्ति है, बल्कि प्रशासनिक प्रबंधन की सबसे बड़ी परीक्षा भी साबित होगी।