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नायडू की मजबूरी या मोदी की जरूरत, क्या वजह है TDP और BJP के गठबंधन की ?

साल 2017 में जून की बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आंध्र प्रदेश के तब के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू एक मंच पर थे। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया। इसके बाद जब चंद्रबाबू नायडू मंच से जाने लगे तब प्रधानमंत्री ने तेज़ी से उनकी तरफ बढ़ कर उनका हाथ पकड़ा और अपनी कुर्सी पर जबरदस्ती बैठा दिया। इसके बाद प्रधानमंत्री खुद उनके बगल वाली कुर्सी पर बैठ गए। ये उस वक़्त की बात है जब नायडू की पार्टी TDP भी NDA का हिस्सा हुआ करती थी। और इसके अगले ही साल TDP ने भाजपा से किनारा कर लिया। इस प्रकरण के बाद मोदी और नायडू में विरोध इस हद तक बढ़ गया कि आंध्र प्रदेश जाने पर प्रोटोकॉल के तहत TDP का कोई मंत्री तक प्रधानमंत्री की अगवानी में नहीं आया। व्यक्तिगत हमलों का स्तर ये था कि मोदी ने नायडू को 'ससुर एनटी रामा राव का गद्दार' कहा और नायडू, मोदी पर हमला करते-करते उनकी पत्नी जसोदाबेन का जिक्र ले आए। 

तकरीबन 6 साल बाद सारे गिले शिकवे भुलाकर अब TDP फिर NDA का हिस्सा बनने जा रही है। 7 मार्च को चंद्रबाबू नायडू दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह और BJP प्रमुख जेपी नड्डा से मिले। पिछले एक महीने में दूसरी बार चंद्रबाबू, BJP नेतृत्व से मिले हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि BJP और TDP में गठबंधन लगभग तय है, बस सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर सहमति बननी बाकी है।

पवन कल्याण के कहने पर BJP-TDP साथ बैठे
BJP और TDP के बीच गठबंधन की संभावनाओं को वार्ता की मेज तक लाने में एक्टर से नेता बने पवन कल्याण की बड़ी भूमिका है। पवन कल्याण की पार्टी JSP पहले से TDP के साथ गठबंधन में है। जानकारी के मुताबिक, चंद्रबाबू नायडू और अमित शाह के बीच हुई मीटिंग के दौरान पवन कल्याण भी मौजूद थे। वहीं आंध्रप्रदेश BJP प्रमुख डी पूर्णदेश्वरी पहले से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। मीटिंग के बाद चर्चा है कि एक से दो दिनों में BJP-TDP-JSP के गठबंधन की औपचारिक घोषणा हो सकती है। आंध्रप्रदेश में 175 विधानसभा और 25 लोकसभा सीटें हैं। राज्य में वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी (YSRCP) सत्ता में है। प्राप्त जानकारी के अनुसार TDP, BJP को 4 लोकसभा सीटें और करीब 10 विधानसभा सीटें देने को तैयार है। वहीं TDP और JSP गठबंधन ने विधानसभा चुनाव के लिए 99 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। गठबंधन के तहत TDP ने JSP को 24 विधानसभा सीटें और 3 लोकसभा सीटें दी हैं।

BJP ने क्या मांग की है, सीट शेयरिंग फॉर्मूला क्या होगा?
TDP की प्रवक्ता ज्योत्सना तिरुनगरी ने कहा है कि अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद चंद्रबाबू नायडू एक बैठक करेंगे। इसके बाद गठबंधन को लेकर घोषणा किए जाने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक BJP ने 6-8 लोकसभा सीटें और 15 विधानसभा सीटें मांगी हैं। BJP, खास तौर पर राज्य में विशाखापत्तनम, अराकू, विजयवाड़ा, राजमुंदरी, राजमपेट, तिरुपति और हिंदूपुर लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही है।

इसके साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि BJP कुछ कम विधानसभा सीटों पर समझौते के लिए तैयार है, लेकिन इन लोकसभा सीटों पर वह समझौता नहीं करना चाहती। बीते महीने जब TDP और JSP ने 99 विधानसभा सीटों पर साझेदारी के तहत उम्मीदवार फाइनल किए तो बाकी सीटों को जानबूझकर छोड़ा गया। इन सीटों पर दोनों दल BJP के गठबंधन में शामिल होने के फैसले के इंतजार में हैं।

राजनीति के जानकारों का कहना है कि, ‘BJP पुरजोर ताकत लगाने के बावजूद भी आंध्रप्रदेश में अपने पैर नहीं जमा पाई है। गठबंधन को लेकर आंध्रप्रदेश BJP में दो तरह के गुट बने हुए हैं। एक गुट चंद्रबाबू नायडू को भरोसे वाला नेता नहीं मानते। ये नेता इस बात पर जोर देते हैं कि त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल की तरह, BJP अपने बलबूते प्रदेश में अपना आधार मजबूत कर सकती है। ये नेता, पवन कल्याण की पार्टी से गठबंधन के पक्ष में हैं, लेकिन TDP के साथ जाने के पक्ष में नहीं है। साथ ही BJP के दूसरे गुट का मानना है कि TDP और JSP के साथ गठबंधन से प्रधानमंत्री मोदी के 400 पार के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।’

हालांकि आंध्रप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार परसा वेंकटेश राव जूनियर कहते हैं, ‘आंध्रप्रदेश में BJP के लिए ये अच्छी ही बात है कि उसके साथ TDP है। आंध्रप्रदेश में BJP का अपना आधार नहीं है और YSRCP के खिलाफ माहौल बन रहा है। TDP राज्य की सत्ता में वापसी कर सकती है। इसलिए गठबंधन के बाद लोकसभा और फिर विधानसभा में BJP को TDP का साथ मिलना उसके लिए फायदे का सौदा है। YSRCP की कमजोरी भांपते हुए ही BJP ने TDP के साथ जाने का निर्णय लिया है।’

TDP और BJP ने अलग होकर कितना नुकसान उठाया?
अगस्त 1995 में चंद्रबाबू नायडू ने NTR की सरकार गिराकर अपनी सरकार बनाई। NTR की पार्टी TDP भी दो टुकड़ों में बंटी। TDP (नायडू) का नेतृत्व चंद्रबाबू नायडू कर रहे थे। 96 के लोकसभा चुनावों के लिए नायडू की TDP अटल के नेतृत्व में NDA में शामिल हो गई। लेकिन तबसे लेकर 2009 के लोकसभा चुनाव तक संयुक्त आंध्रप्रदेश की 42 सीटों पर BJP एक भी सीट नहीं जीती। साल 2014 में TDP और BJP ने आंध्रप्रदेश में एक साथ चुनाव लड़ा। चुनाव के नतीजे आने के बाद आंध्रप्रदेश का विभाजन हो गया था। और फिर साल 2018 में TDP गठबंधन से अलग हो गई।

TDP, BJP के साथ वापस गठबंधन क्यों करना चाहती है?
आंध्रप्रदेश में BJP संगठनात्मक रूप से बहुत कमजोर है। प्रदेश में BJP का कोई बड़ा नेता भी नहीं है। इसके बावजूद, चंद्रबाबू नायडू BJP के साथ जाना चाहते हैं। गौरतलब है कि आंध्रप्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग पूरी न होने पर चंद्रबाबू ने NDA गठबंधन से किनारा किया था। वो मांग अभी भी अधूरी है। लेकिन घोटाले में गिरफ्तारी के बाद से चंद्रबाबू को केंद्रीय एजेंसियों का भी डर है। उन्हें लगता है कि BJP के साथ जाने से वो कानूनी कार्रवाई से बचे रहेंगे। इसके अलावा TDP ने बीते चुनावों में नुकसान उठाया है। अब उसे उम्मीद है कि गठबंधन के जरिए YSRCP के सामने मजबूती से खड़ा हुआ जा सकता है। TDP को ये भी पता है कि BJP और YSRCP के बीच बुरे संबंध नहीं हैं। ऐसे में BJP के साथ गठबंधन से TDP, YSRCP को ये संदेश देने में भी सफल रहेगी कि केंद्र सरकार उसके पक्ष में है। वहीं वाईएस जगन मोहन रेड्डी, हेमंत सोरेन और केजरीवाल की तरह ED और CBI के चंगुल में नहीं पड़ना चाहते, इसलिए केंद्र से अच्छे संबंध बनाकर रखते हैं, लेकिन चुनावी गणित में उन्हें कम से कम आंध्रप्रदेश में BJP की कोई जरूरत नहीं है।’