Movie prime

SIR के खिलाफ विपक्ष का हल्ला बोल, लोकतंत्र की रक्षा को लेकर संसद परिसर में जोरदार प्रदर्शन

SIR के खिलाफ विपक्ष का हल्ला बोल, लोकतंत्र की रक्षा को लेकर संसद परिसर में जोरदार प्रदर्शन

आज संसद भवन परिसर में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लोकसभा फ्लोर लीडर एवं औरंगाबाद (बिहार) से सांसद अभय कुमार सिन्हा  ने समस्त विपक्षी दलों के सांसदों के साथ चुनाव आयोग द्वारा बिहार समेत देश के अन्य राज्यों में चलाए जा रहे 'Special Intensive Revision (SIR)' अभियान के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

इस प्रदर्शन में कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी, समाजवादी पार्टी, झामुमो, आम आदमी पार्टी, वाम दलों सहित पूरे INDIA गठबंधन के सभी सांसद शामिल हुए। सभी ने हाथों में "Quit SIR", "SIR is Stealing Indian Rights" और "लोकतंत्र की हत्या है SIR" जैसे नारों वाले पोस्टर लेकर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली और सरकार के मौन समर्थन पर गंभीर सवाल उठाए।

सांसद अभय कुमार सिन्हा ने कहा — "यह 'Special Intensive Revision' नहीं, सलेक्टेड पहचान हटाना है। BLO के ज़रिये गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक मतदाताओं को टारगेट कर वोटर लिस्ट से नाम हटाया जा रहा है। चुनाव आयोग की यह प्रक्रिया एकतरफा, अपारदर्शी और संविधान के खिलाफ है। लोकतंत्र में सबसे बड़ा अधिकार मत देने का है, और SIR के जरिए उसी अधिकार को चुपचाप छीना जा रहा है।"

"Bihar को टारगेट किया जा रहा है, जहां बाढ़, प्रवास और आर्थिक संकट पहले से ही जनता को परेशान कर रहे हैं। ऐसे समय में मतदाता पुनरीक्षण की यह प्रक्रिया सिर्फ असंवेदनशील नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर हमला है।”

उन्होंने यह भी कहा कि यह सिर्फ बिहार की नहीं, पूरे देश के लोकतंत्र की लड़ाई है। बिहार से लाखों लोग रोज़गार के लिए दिल्ली, पंजाब, गुजरात जैसे राज्यों में काम कर रहे हैं। अब उनसे कहा जा रहा है कि वोटर लिस्ट में नाम रखने के लिए वे अपने गांव लौटें और दस्तावेज़ दिखाएं — क्या यह संभव है? बाढ़ के वक्त, जब लोगों को रहने और खाने की चिंता है, चुनाव आयोग वोट सत्यापन थोप रहा है। यह प्रशासनिक नहीं, राजनीतिक प्रक्रिया बन चुकी है।”
     
प्रदर्शन के दौरान सांसदों ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक यह वोटर-सफाई अभियान नहीं रोका जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। जब तक SIR प्रक्रिया रद्द नहीं होती, विपक्ष संसद के भीतर और बाहर इसका डटकर विरोध करता रहेगा। ये सिर्फ चुनाव का मामला नहीं है — यह भारत के लोकतंत्र का सवाल है।”