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केंद्र की निधि रोकने से नक्सल विरोधी अभियान प्रभावित, वित्त मंत्री ने केंद्र सरकार पर लगाया आरोप

झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पिछले दो वर्षों से राज्य को नक्सलवाद से निपटने के लिए आवश्यक सुरक्षा संबंधी व्यय (SRE) फंड और विशेष केंद्रीय सहायता योजना (SCAS) की राशि नहीं दी जा रही है। उन्होंने केंद्र सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि यदि उसे लगता है कि झारखंड में नक्सलवाद समाप्त हो चुका है, तो वह नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात 196 पुलिस पिकेट्स को हटा कर देख ले।

वित्त मंत्री ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार ने नक्सलवाद पर काफी हद तक नियंत्रण पाने में सफलता प्राप्त की है, लेकिन यह खतरा पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर राज्य सरकार को सहयोग नहीं कर रही है।

राधाकृष्ण किशोर ने बताया कि झारखंड के 24 में से 21 जिले अब भी नक्सल प्रभावित हैं। इनमें बोकारो, चतरा, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, गढ़वा, गिरिडीह, गुमला, हजारीबाग, कोडरमा, लातेहार, लोहरदगा, पलामू, रांची, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम, खूंटी, रामगढ़, दुमका, देवघर और पाकुड़ शामिल हैं। इन इलाकों में सुरक्षा और विकास कार्यों के लिए पहले SRE फंड का उपयोग किया जाता था।

पुलिस की गश्त भी हो रही है प्रभावित
वित्त मंत्री के अनुसार, केंद्र से फंड न मिलने के चलते नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस की गश्ती गतिविधियों पर सीधा असर पड़ा है। पेट्रोल-डीजल और वाहनों की कमी के कारण सुरक्षा बलों की आवाजाही सीमित हो गई है। इससे नक्सली ताकतों को दोबारा संगठित होने का मौका मिल सकता है।

इसके साथ ही, स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंस (SCAS) की राशि भी रुकी हुई है, जिससे इन क्षेत्रों में स्कूल, स्वास्थ्य सेवाएं और अन्य बुनियादी विकास कार्य भी ठप पड़ गए हैं।

पहले मिल रही थी सहायता, अब नहीं
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, झारखंड को वित्तीय वर्ष 2020-21 में 77.12 करोड़, 2021-22 में 84.45 करोड़, 2022-23 में 60.95 करोड़ और 2023-24 में 102.2 करोड़ रुपये SRE योजना के तहत दिए गए थे। लेकिन 2024-25 और 2025-26 के लिए राज्य को कोई राशि नहीं मिली है, ऐसा वित्त मंत्री का दावा है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य में नक्सलियों की गतिविधियों पर नियंत्रण 196 पुलिस पिकेट्स की सक्रियता से ही संभव हुआ है, लेकिन फंड न मिलने से यह स्थिति बिगड़ सकती है।

बयानबाजी पर उठा विवाद
वित्त मंत्री के इन आरोपों पर भाजपा प्रवक्ता राफिया नाज ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि महागठबंधन सरकार खुद ही विरोधाभासी बयान दे रही है। एक ओर वह दावा करती है कि नक्सलवाद खत्म हो चुका है, वहीं दूसरी ओर यह कह रही है कि केंद्र की मदद के बिना नक्सलवाद फिर से सिर उठा सकता है।

झामुमो ने चेताया, सहायता रुकी तो बिगड़ सकते हैं हालात
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रवक्ता मनोज पांडेय ने वित्त मंत्री के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि राज्य में नक्सलवाद कमजोर हुआ है। कई बड़े नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं और कई मुठभेड़ों में मारे गए हैं। लेकिन उन्होंने आगाह किया कि यदि केंद्र की आर्थिक सहायता नहीं मिली तो उग्रवादी गतिविधियां फिर से जोर पकड़ सकती हैं।