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शिक्षा में सुधार को लेकर अपर मुख्य सचिव की पहल, छुट्टी पर गये शिक्षक से वीडियो कॉल पर किया सीधा संवाद

बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार और वास्तविक समस्याओं को जानने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने अररिया जिले के नरपतगंज प्रखंड के मध्य विद्यालय, बसमतिया के शिक्षक सौरभ कुमार से 16 जून को वीडियो कॉल के जरिए संवाद किया। यह बातचीत उस समय हुई जब शिक्षक सौरभ छुट्टियों में दार्जिलिंग में थे, फिर भी उन्होंने सक्रियता दिखाते हुए ऑनलाइन संवाद में हिस्सा लिया।

शिक्षक सौरभ कुमार लगातार व्हाट्सएप के माध्यम से अपनी बातों को विभाग तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे थे, जिसे देखते हुए डॉ. सिद्धार्थ ने उनसे व्यक्तिगत रूप से संवाद किया। बातचीत में स्कूल की समस्याओं, अवसरों, संसाधनों और पढ़ाई के तरीकों पर गहन चर्चा हुई।

ग्राम्य क्षेत्र में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर हुआ फोकस
अपर मुख्य सचिव ने शिक्षण स्तर, विद्यार्थियों की उपस्थिति और डिजिटल लर्निंग के प्रभाव को लेकर शिक्षक से फीडबैक लिया। जब यह पूछा गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता कैसे बेहतर की जा सकती है, तो शिक्षक सौरभ ने सुझाव दिया कि स्मार्ट क्लास की सुविधा, नियमित शिक्षकों का प्रशिक्षण और बुनियादी दक्षताओं पर काम करने से फर्क पड़ेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि अभिभावकों को भी शिक्षा के प्रति संवेदनशील बनाना जरूरी है।

छात्रों की भागीदारी बढ़ाने के लिए रचनात्मक प्रयास
शिक्षक ने बताया कि वे स्कूल में हर सप्ताह क्विज प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं, जिसमें छात्रों को चॉकलेट देकर प्रोत्साहित किया जाता है। इसका अच्छा असर दिख रहा है, हालांकि खर्च खुद या हेडमास्टर उठाते हैं। प्रति सप्ताह यह खर्च 100-150 रुपये होता है। अच्छे प्रदर्शन करने वाले बच्चों को हर हफ्ते सम्मानित भी किया जाता है।

शिक्षक ने यह भी बताया कि सरकारी शिक्षक मेहनत से पढ़ाते हैं, फिर भी पास के निजी स्कूलों के छात्रों का शैक्षणिक स्तर बेहतर है। वह अपने छात्रों को निजी स्कूलों के बच्चों के समकक्ष लाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, परंतु अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं।

शिक्षकों के बीच प्रतिस्पर्धा से होगा सुधार
इस पर डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि यदि सरकारी शिक्षक खुद को निजी शिक्षकों से बेहतर साबित करने की कोशिश करें, तो शिक्षा बोझ नहीं लगेगी और छात्रों की सीखने की रुचि भी बढ़ेगी। उन्होंने सुझाव दिया कि केवल पाठ्यक्रम पूरा करने की मानसिकता से बाहर निकलना होगा और यह सोचना होगा कि बच्चों को असल में क्या ज्ञान मिल रहा है।

संसाधनों के बावजूद क्यों नहीं दिखता असर?
शिक्षक सौरभ ने बताया कि उनके विद्यालय में रोबोटिक्स किट जैसी आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं, फिर भी निजी स्कूलों की तुलना में परिणाम कमजोर हैं। इस पर डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि संसाधनों के साथ-साथ शिक्षण की गुणवत्ता और जवाबदेही भी अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे छात्रों की सीखने की प्रक्रिया को प्राथमिकता दें और रचनात्मक तरीकों से पढ़ाई करवाएं।