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बिहार में हुआ एंटीबायोटिक पर पहला कार्यक्रम, विशेषज्ञों ने कहा- इन दवाओं का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए

 

बिहार में पहली बार एंटीबायोटिक के अत्यधिक इस्तेमाल और खतरे को देखते हुए "वन हेल्थ कॉन्फ्रेंस" स्वास्थ्य भवन, पटना में आयोजित की गई। जिसमें बिहार के सारे मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉक्टरों के साथ-साथ देश के विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हुए। यह कार्यक्रम राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार सरकार, होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर और डॉक्टर्स फॉर यू के तत्वाधान में स्वास्थ्य भवन, राज्य स्वास्थ्य समिति पटना में आयोजित किया गया। 

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इस कार्यक्रम की शुरुआत संजय कुमार सिंह (स्वास्थ्य सचिव, बिहार सरकार) ने दीप प्रज्ज्वलित करके की। उन्होंने इस कार्यक्रम के बारे में विस्तारपूर्वक बताया कि बिहार में एंटीबायोटिक पर पहला कार्यक्रम हो रहा है इसके लिए हम पिछले 1 साल से होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र मुजफ्फरपुर के साथ मिलकर काम कर रहे है। डब्ल्यूएचओ (WHO) ने घोषणा की है कि एएमआर मानवता के सामने आने वाले शीर्ष दस वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अभी विश्व भर में प्रतिवर्ष एंटीबायोटिक के कारण 7 लाख लोगों की मृत्यु हो रही है और 2050 तक यह संख्या 1 करोड़ हो जायेगी। एंटीबायोटिक दवा हमें कीटाणुओं से होने वाली बीमारियों से बचाती है लेकिन इसके अत्यधिक इस्तेमाल से कीटाणुओं की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है जिससे दवाएं कीटाणुओं पर बे-असर हो जाती है। इसी की भयावह स्थिति को देखते हुए हमलोग इसे कम करने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि मरीज डाक्टर के परामर्श के बिना कोई भी एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल न करें। मामूली सर्दी जुकाम होने पर तुरंत एंटीबायोटिक दवा न लें। किसी भी मरीज का दवा बिना डॉक्टर के सलाह के दूसरा मरीज इस्तेमाल न करें। खासतौर पर बच्चों पर एंटीबायोटिक का अनुचित इस्तेमाल न करें। 


इस कार्यक्रम की शुरुआत डॉ रविकांत सिंह ( प्रभारी, होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र मुजफ्फरपुर) ने की। उन्होंने कहा कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध में बिहार सरकार ने बहुत बढ़िया कदम उठाया है। अगर इस कार्यक्रम में बिहार का स्टेट एक्शन प्लान बन जाए तो इससे एंटी माइक्रोबायोलॉजी प्रतिरोध में बिहार एक अग्रणी राज्य बन जाएगा। इसके लिए बिहार के मेडिकल कालेज के साथ वेटनरी कॉलेज, कृषि अनुसंधान और पर्यावरण विभाग को आगे आकर एक साथ काम करना होगा। इससे ही हम इस खतरे को खत्म कर सकते हैं। एंटीबायोटिक्स तेजी से अप्रभावी होते जा रहे हैं क्योंकि दवा-प्रतिरोध विश्व स्तर पर फैल रहा है जिससे संक्रमण और मृत्यु का इलाज करना अधिक कठिन हो गया है।

इस बारे में बात करते हुए डॉ नम्रता कुमारी (एचओडी, माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट आईजीआईएमएस) ने कहा कि हम AMR पर 2020 से काम कर रहे हैं। अभी एनसीडीसी (NCDC) 60 साइट पर काम कर रहा है। साथ ही उन्होंने कहा हमें एंटीबायोटिक्स में नए दवा की जरूरत है। साथ ही इसके प्रति आम लोगों को भी जागरूक होना होगा। इस कार्यक्रम में प्रो. पी कौशिक (एचओडी, पशु चिकित्सा स्वास्थ्य एवं महामारी विज्ञान कॉलेज, बिहार) ने बताया कि मानव उपयोग के लिए दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवा का उपयोग पशु चिकित्सा पद्धतियों में नहीं किया जाना चाहिए।

पशु  चिकित्सा में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए।
एंटीबायोटिक दवाओं के उचित उपयोग के लिए प्रयोगशाला को मजबूत किया जाना चाहिए।
पशु चिकित्सा पद्धतियों से जुड़े लोगों और पेशेवरों के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए।

एएमआर पर बात करते हुए डॉ सुमित राय ( एचओडी, क्लीनिकल माइक्रोबायोलॉजी एम्स मंगलागिरी) ने कहा कि एएमआर को रोकने के लिए 24*7 टेस्टिंग और रिपोर्टिंग की व्यवस्था की जा रही है। नेशनल मेडिकल कमीशन ने कहा है कि सभी मेडिकल कॉलेज में एएमआर प्रबंधन शुरू हो लेकिन अभी तक इसमें ज्यादा रुचि नहीं दिखाई गई है। एएमआर स्टेट एक्शन प्लान बनाने के लिए सभी संबंधित विभागों को सहयोग करना पड़ेगा। 

डॉ बीजू सुमन (हेड, हेल्थ साइंस विभाग एससीआईएमएसटी, केरला) ने कहा कि केरला भारत का पहला राज्य है जहां एएमआर के लिए स्टेट एक्शन प्लान बनाया गया है। वहां एएमआर स्टेट एक्शन प्लान बनाने में केरला के सारे हितधारकों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस एक्शन प्लान में सारे हितधारकों को अपनी -अपनी  भूमिका और जिम्मेदारी सौंपी गई है जिसे वो प्राथमिकता मानकर उसका निर्वहन करते हैं। 

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